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शिक्षा में तकनीक को बढ़ावा देना बच्चों के लिए होता है फायदेमंद

Published: Oct 25, 2017 07:25:14 pm

शोधकर्ताओं का कहना है कि विकासशील देशों के स्कूलों में एजुकेशनल टूल्स का प्रयोग नई बात है।

Technology in education

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मैसाचुसेट्स। दुनियाभर के हर माता-पिता का सपना होता है कि वे अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलवाएं ताकि उनका भविष्य बेहतर बन सके। भारत में भी माता-पिता इसी बात पर जोर देते हैं। लेकिन यहां पर फ्यूचर एजुकेशन को लेकर दूरदर्शी सोच और स्मार्ट एजुकेटर्स का सख्त अभाव है। यही कारण है कि डिजिटल इंडिया के बावजूद सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में स्मार्ट एजुकेशन टेक्नोलॉजीज का समुचित लाभ छात्रों को नहीं मिल पा रहा है। एमआईटी के स्मार्ट डिसीजन मेकिंग टूल्स निर्माताओं के हिसाब से इसका लाभ छात्रों को तभी मिल पाएगा, जब स्मार्ट डिसीजन मेकिंग टूल्स के तहत शिक्षा व्यवस्था में उन तकनीकी उपकरणों को बढ़ावा दिया जाएगा, जो छात्रों के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी हैं।
दरअसल मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजीज (एमआईटी) अमरीका ने 2012 में ग्लोबल एजुकेशन को ध्यान में रखते हुए स्मार्ट डिसीजन मेकिंग टूल्स पर काम शुरू किया था। इस मामले में विकासशील देशों की लचर स्थिति को ध्यान में रखते हुए एमआईटी ने 2016 में आईआईएम अहमदाबाद को इस मिशन का पार्टनर बना लिया। उसके बाद आईआईएम के शोधार्थियों ने भारतीय स्कूलों में एजुकेशनल टेक्नोलॉजीज का लाभ छात्रों को मिल रहा है या नहीं, इसका अध्ययन किया। इस अध्ययन में ये उभरकर आया कि छात्रों का इसका लाभ उसी स्थिति में मिल सकता है जब शिक्षक (एजुकेटर्स) छात्रों को यह गाइड करें कि उनके लिए कौन-सा टूल्स किस स्तर पर ज्यादा उपयोगी है। ऐसा इसलिए जरूरी है, क्योंकि करियर के लिहाज से शिक्षकों की अहमियत पहले की तरह बरकरार है और इसका विकल्प कोई अन्य टूल नहीं हो सकता।
डिसीजन मेकिंग टूल्स
यह एमआईटी की ओर से एजुकेशन के क्षेत्र में तकनीकी उपकरणों की भूमिका को लेकर तैयार किया गया एक फ्रेमवर्क है। इसके तहत ग्लोबल एजुकेशन के हिसाब से मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर, इंटरनेट, आईपॉड , वाई-फाई, इलेक्ट्रिॉनिक प्रोजेक्टर्स के उपयोग को लेकर जरूरी मानक तय किए गए हैं। इस पर जोर है कि शिक्षाविदों, प्रशासकों, सरकारों, स्टेक होल्डर्स, छात्रों को क्या करें कि छात्रों के लिए एजुकेटर्स स्मार्ट डिसीजन ले सकें।
स्मार्ट एजुकेटर्स महत्वपूर्ण
आईआईएम अहमदाबाद के प्रोफेसर अंकुर का कहना है कि ग्लोबल एजुकेशन के लिहाज से टेक्नोलॉजीज की अहमियत तो है, लेकिन छात्रों को किन उपकरणों की जरूरत है, इस बात की बेहतर जानकारी दक्ष शिक्षक ही दे सकते हैं। तभी छात्र एजुकेशनल टेक्नोलॉजीज का लाभ उठा पाएंगे। प्रभावी मार्गदर्शन के अभाव का ही परिणाम है कि छात्र इन उपकरणों का लाभ अकादमिक क्षेत्र में कुशलता हासिल करने के बदले मनोरंजन के लिए करने लगे हैं। इससे साफ है कि एक स्मार्ट एजुकेटर्स की भूमिका भविष्य में भी उतना ही अहम होगा, जितना परंपरागत शिक्षण व्यवस्था में रहा है। ऐसा होने पर ही छात्र तकनीक उपकरणों का सही लाभ उठा पाएंगे।
लाभ से वंचित क्यों हैं छात्र
शोधकर्ताओं का कहना है कि विकासशील देशों के स्कूलों में एजुकेशनल टूल्स का प्रयोग नई बात है। जहां तक लाभ न मिलने की बात है तो जब तक स्कूलों में आधारभूत ढांचे, तकनीकी शिक्षा के लिए जरूरी बजट का आवंटन, शिक्षकों को तकनीकी प्रशिक्षण नहीं मिलेगा, तब तक संतुलित रूप से छात्रों का विकास नहीं हो पाएगा। यही वजह है कि एजुकेशनल टूल्स का प्रयोग छात्रों के लिए भेड़चाल साबित हुआ है।
शैक्षणिक उपकरण बोझ क्यों
एमआईटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि दूरदर्शी योजना के तहत स्कूली शिक्षा में एजुकेशनल टेक्नोलॉजीज का उपयोग न होने से ये उपकरण एजुकेशन सिस्टम को ट्रेंडी तो बना रहे हैं, पर हकीकत यह है कि यह छात्रों व शिक्षकों दोनों के लिए यह बोझ साबित हो रहे हैं। निजी शिक्षण संस्थान इसका उपयोग बच्चों में बेसिक स्किल्स विकसित करने के बदले खुद की मार्केटिंग के लिए करते हैं और उसका व्यावसायिक लाभ उठाते हैं।
तालमेल का अभाव
स्कूलों में कुछ छात्र कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट और इंटरनेट कनेक्टिविटी का इस्तेमाल निजी स्तर पर जानकारी हासिल करने में करते हैं। लेकिन शिक्षक इनका इस्तेमाल नहीं जानतें। इसके अलावा अधिकतर छात्रों की पहुंच ये चीजें आज भी दूर हैं। केवीएस ने 25 जोन के 25 स्कूलों में आठवीं के छात्रों को मुफ्त टैबलेट देने की योजना पर काम हो रहा है, पर शिक्षकों को इन तकनीक में प्रशिक्षित करने पर प्रशासन व सरकार का ध्यान नहीं है।
क्या करने की है जरूरत
एमआईटी एजुकेशन के क्रिएटिव निदेशक स्कॉट वेस्टरविल का कहना है कि एजुकेशनल टूल्स के उपयोग को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। शिक्षाविदों, प्रशासकोंं व फ्यूचर एजुकेशनिस्टों को इसका सघन मूल्यांकन करना चाहिए, ताकि छात्रों को किस स्तर की तकनीक उपकरणों की जरूरत है और शिक्षक तकनीक उपकरणों में प्रशिक्षित हैं या नहीं, इसका पता चल सके।

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