बोहरा ने अदालत को बताया कि सरकार ने 2011 में माध्यमिक स्कूलों को उच्च माध्यमिक विद्यालयों में उच्चीकृत करने का निर्णय लिया। इसके तहत कक्षा आठ तक के विद्यालयों को दसवीं कक्षा में उच्चीकृत कर दिया गया। इसी दौरान 15 नवम्बर 2018 को सरकार ने एक और आदेश जारी कर 30 से कम छात्र संख्या वाले सरकारी स्कूलों को पांच किमी से कम दूरी के स्कूलों में विलय करने का निर्णय लिया। बोहरा ने अदालत को बताया कि सरकार के प्रस्तावित निर्णय से खिनौली स्कूल का गटकोट स्कूल में विलय हो जाएगा और इससे उनके गांव के छात्र-छात्राओं के भविष्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। उनके गांव के छात्र छात्राओं को लगभग 18 किमी दूर पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ेगा।
जनहित याचिका में आगे कहा गया है कि सरकार के इस निर्णय से बच्चों खासकर बालिकाओं के भविष्य पर प्रभाव पड़ेगा। छात्र-छात्राओं को खतरनाक एवं बीहड़ रास्तों से होकर प्रतिदिन स्कूल जाना पड़ेगा। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने आगे बताया कि अदालत ने जनहित याचिका में उठाए तथ्यों को काफी गौर से सुना। साथ ही पूरी सुनवाई के बाद सरकार के पिछले साल जारी विलय संबंधी आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। बोहरा ने कहा कि अदालत ने खिनौली स्कूल में छात्र-छात्राओं को कक्षा नौवीं और दसवीं में दाखिला देने का भी निर्देश सरकार को दिया है।