स्व उपेंद्र शुक्ला भाजपा संगठन के कद्दावर नेताओं में गिने जाते रहे। गोरखपुर ही नहीं बल्कि बस्ती और आजमगढ़ मंडल तक में वो पार्टी का ब्राह्मण चेहरा थे। पार्टी में लंबे समय तक संगठन की सेवा करने वाले उपेंद्र दत्त शुक्ला विभिन्न पदों पर भी रहे। उपेंद्र शुक्ल भले ही गोरखपुर, बस्ती और आजमगढ़ मंडल तक में भाजपा के ब्राह्मण चेहरा रहे पर उन्हें राजनाथ सिंह खेमे का माना जाता रहा है। ब्राह्मण बिरादी में पैठ की बात करें तो वह पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवप्रताप शुक्ल के करीबी माने जाते थे। उपेंद्र शुक्ल 2013 से 2018 तक भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे थे, जिसमें यह 64 विधानसभा और 12 लोकसभा क्षेत्र शामिल है। वह आरएसएस और भाजपा के पुराने कैडर के कार्यकर्ता रहे। वह जनसंघ के जमाने से भाजपा से जुड़े थे। छात्र जीवन में विद्यार्थी परिषद की राजनीति में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। साधारण सदस्य के रूप में पार्टी ज्वाइन की और अपनी कर्मठता से जिलाध्यक्ष, क्षेत्रीय अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर लम्बे समय तक सफलतापूर्वक काम किया।
भाजपा ने उपेंद्र को पहले कौड़ीराम विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया, लेकिन वह चुनाव हार गए। उस वक्त भी यही कहा गया कि योगी खेमे ने उनका साथ नहीं दिया जिसके चलते उन्हें हार का मुख देखना पड़ा। फिर योगी आदित्यनाथ के यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद 2018 में हुए उपचुनाव में पार्टी ने एक बार फिर से उपेंद्र पर भरोसा जताया लेकिन इस बार भी वो सपा के प्रवीण निषाद से चुनाव हार गए। हालांकि इस हार के बाद के बाद भी परोक्ष रूप से योगी आदित्यनाथ खेमे पर ही ठीकरा फोड़ा गया। हालांकि इस हार के बाद उपेंद्र शुक्ला सक्रिय राजनीति से दूर होते गए। इस बीच डेढ़ साल पहले उपेंद्र शुक्ला दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।
उपेंद्र शुक्ल की बीमारी और उनके निधन को लेकर गोरखपुर और पूर्वांचल में तरह-तरह की चर्चाएं होती रहीं। उनके निधन के बाद योगी का उनके घर न जाना भी परिवार के लोगों व समर्थकों के बीच चर्चा का विषय बना। क्षेत्रीय राजनातिक पंडितों की मानें तो उपेंद्र शुक्ल का परिवार तभी से योगी से नाखुश चल रहा था। अब उनकी पत्नी ने गुरुवार को अखिलेश से मिल कर सपा ज्वाइन कर ली है। कयास ये लगाए जा रहे हैं कि सुभवती को योगी आदित्यनाथ के विरुद्ध सपा मैदान में उतार सकती है।
वैसे क्षेत्रीय लोगों की मानें तो उपेंद्र शुक्ल का परिवार सपा से जुड़ भले गया हो पर सवाल ये बड़ा है कि क्या सुभावती शुक्ला योगी आदित्यनाथ के विरुद्ध चुनाव लड़ेंगी। लोगों का कहना है कि सपा में शामिल होने से पूर्व ये परिवार कांग्रेस के भी संपर्क में रहा। लेकिन खुलकर कभी योगी की मुखालफत नहीं की। यहां तक कि उपेंद्र शुक्ल के निधन के बाद यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू जब शोक संवेदना जताने उनके घर जाना चाहते थे तब भी उन्हें मना कर दिया गया। ऐसे में ये बड़ा सवाल है कि क्या अब उसी परिवार ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर ऐसा होता है तो योगी बनाम सुभावती शुक्ला का मुकाबला रोचक होगा।
सुभवती शुक्ला को योगी आदित्यनाथ के धुर विरोधी रहे शिवप्रताप शुक्ल गुट का भी अंदरूनी समर्थन मिल सकता है। कारण उपेंद्र शुक्ल और शिवप्रताप शुक्ल का एक खेमा होना है और दोनों ही योगी के विरोधी रहे हैं।