पीएम मोदी की सक्रियता से भी बदल गई तस्वीर
यह चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता मापने का भी चुनाव था। उत्तर प्रदेश में उन्होंने लगभग हर चरण में हर इलाके में रैलियां की और समाजवादी पार्टी पर खुलकर हमले बोले। अंतिम चरण में उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में तीन दिन तक डेरा डाले रखा। पूर्वांचल को अहम मानते हुए पीएम ने पिछले डेढ़ महीने में वहां छह दौरे किए। उन्होंने जनता को सपा सरकार के दिनों याद दिलाकर और माफियाराज का पर्याय बताकर वोटरों को लामबंद करने की कोशिश की। उसका असर शहर से लेकर गांव—गांव तक देखने को मिला। उन्होंने जनता के बीच जनकल्याणकारी प्रधानमंत्री का खास नैरेटिव भी गढ़ा, जो वोट दिलाने में कारगर साबित हुआ।
एंटी इनकम्बेंसी फैकटर यूं घटा
भाजपा ने चुनाव में हिन्दुत्व और विकास का एजेंड़ा साथ—साथ रखा। काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन, प्रदेश में पांच इंटरनेशनल एयरपोर्ट के शिलान्यास उद्घघाटन के अलावा गंवा एक्सप्रेस वे बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे पूर्वाचल एक्सप्रेस वे डिफेंस कॉरिडोर, सरयू नहर परियोजना की सौगात भी दी। इससे भाजपा ने विकासवादी छवि को पुख्ता किया और एंटी इनकाम्बेंसी फैक्टर को भी कमतर किया।
ओवैसी से बसपा—सपा को नुकसान
असदुद्दीन आवैसी की पार्टी ने जिन 103 सीट पर उम्मीदवार उतारे, वे पारंपारिक रूप से सपा—बसपा का गढ़ रही है। ओवैसी के उतरने से मुस्लिम वोट, खासकर युवा मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगी। इससे सपा गबंधन को नुकसान उठाना पड़ा। ओवैसी 2017 की तरह फिर सपा के लिए हराउ फैक्टर बन गए। यूपी में 143 सीटें मुस्लिम बहुल है।
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स्लीपिंग मोड में रहीं मायावती
चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती शांत रहीं। एक तरह से इस चुनाव में वह स्लीपिंग मोड में रहीं। इससे दलित वोटर्स भ्रम की हालत में रहे। उनका कुछ हिस्सा भाजपा के पाले में गया तो कुछ का बंटवारा हो गया। नए दलित नेता चंद्रशेखर रावण के साथ अखिलेश की दोस्ती दो चार दिन ही रही। सपा को इससे भी नुकसान उठाना पड़ा।
योगी का बेदाग चेहरा
बतौर सीएम योगी आदित्यनाथ का चेहरा पूरे कार्यकाल के दौरान बेदाग रहा। नरेंद्र मोदी ने भी उन पर भरोसा जतया। चुनावी सभाओं में योगी की तारीफ की। इसका पार्टी को लाभ मिला।
कृषि कानून की वापसी भी अहम
पिछले साल नवंबर में पीएम मोदी ने विवादित कृषि कानून को वापस लेने का ऐलान किया। चुनाव से कुछ माह पहले किया यह फैसला अहम साबित हुआ। पश्चिमी यूपी जहां के किसान नाराज थे, वहां भाजपा को अच्छी सीटें मिलीं।
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कानून व्यवस्था सुधारने का लाभ
सीएम योगी ने अपनी सरकार बनते ही यूपी में कई बड़े अपराधियों को जेल में डालते हुए कानून व्यवस्था पर सख्ती दिखाई। कई अपराधी राज्य छोड़कर भागने के लिए मजबूर हुए। तोबड़तोड एनकाउंटर हुए। इसका पार्टी को लाभ मिला।