
वाराणसी के शहर दक्षिणी के प्रत्याशी यूपी सरकार के पर्यटन व धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री नीलकंठ ने वीडियो वायरल किया था। कहा था कि, सामाजिक- राजनीतिक जीवन है। प्रदेश भर का भ्रमण रहा। व्यस्तता रही। मैं भी मनुष्य हूं, मनुष्य से गलती होती है। मुझसे भी जाने-अनजाने में कोई गलती हुई हो तो कुछ भी कह सकते हैं, बात कर सकते हैं। उसके लिए क्षमा मांगता हूं। क्षमाप्रार्थी हूं। ये वीडियो था तो शहर दक्षिणी के मतदाताओं के लिए लेकिन सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। नतीजा ये कि मतगणना के दिन 22-23 चक्र तक नीलकंठ और समाजवादी पार्टी के प्रत्यासी किशन दीक्षित के बीच कांटे का मुकाबला हुआ। अंतिम 24वें-25वें चक्र में जा कर अंततः उन्हें जीत हासिल हो ही गई। उन्होंने नीलकंठ तिवारी को 99416 मत और किशन दीक्षित को 88697 मत मिले और इस तरह नीलकंठ तिवारी 10,719 मतों से विजयी घोषित हुए। यहां ये भी बता दें कि नीलकंठ की ये दूसरी जीत है। इससे पहले 2017 में भी नीलकंठ, कांग्रेस प्रत्याशी डॉ राजेश मिश्र से इसी तरह कांटे के संघर्ष में अंतिम दौर में 17 हजार मतों से विजयी हुए थे।
बता दें कि बीजेपी प्रत्याशी नीलकंठ तिवारी के खिलाफ क्षेत्र में जबरदस्त नाराजगी रही लोगों में। उस नाराजगी को कम करने और चुनाव में मत व समर्थन के लिए ही उन्हें ये वीडियो जारी करना पड़ा था।

उधर सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज के बीजेपी प्रत्याशी भूपेश चौबे ने मंच पर खड़े होकर कार्यकर्ताओं के सामने कान पकड़कर उठक-बैठक की थी। यही नहीं वो एक बुजुर्ग मतदाता की तेल-मालिश करते भी नजर आए थे। चौबे का ये दोनों ही वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था। पार्टी की किरकिरी भी हुई थी। लेकिन भूपेश चौबे ने सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज सीट से लगातार दूसरी बार उन्होंने जीत दर्ज की। भूपेश को 84352 मत तो समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अविनाश कुशवाहा को 78449 मत प्राप्त हुआ। इस तरह चौबे पांच हजार 903 मतों से विजयी हुए।
त्रिदेव सम्मेलन के दौरान राबर्ट्सगंज के प्रत्याशी भूपेश चौबे ने जब मंच पर खड़े होकर कार्यकर्ताओं के सामने कान पकड़कर उठक-बैठक किया तो चारों ओर हंगामा मच गया। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित विपक्षी दलों ने इसे लेकर बीजेपी प्रत्याशियों पर जमकर निशाना साधा। ऊठक-बैठक के बाद चौबे का तेल मालिश का वीडियो भी आया। उस पर भी बीजेपी की खूब किरकिरी हुई। हालांकि डैमेज कंट्रोल करते हुए बीजेपी के रणनीतिकारों ने इसे विधायक की सरलता से जोड़ दिया। जिला स्तर से लेकर बूथ स्तर तक जगह-जगह इस चर्चा को हवा दी गई कि विधायक काफी सरल हैं। इसका असर पड़ा और जो चौबे से नाराज थे उनका भी मिजाज बदला। रही-सही कसर पीएम मोदी की सभा ने पूरी की।