दरअसल, केरल विधानसभा चुनाव 2016 में CPI (M) को 140 सीटों में से 58 सीटों पर जबकि उसकी सहयोगी CPI को 19 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। कांग्रेस को 22 सीटें और IUML को 18 सीटों पर जीत मिली थी। बीजेपी को राज्य में सिर्फ एकमात्र नेमोम सीट पर जीत से संतोष करना पड़ा था। लेकिन इस बार एलडीएफ 2016 के 77 सीट के बदले 99 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुई है। एलडीएफ ने ये जीत उस समय दर्ज की है जब दो साल पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व में यूडीएफ गठबंधन ने लोकसभा की 20 में से 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
कांग्रेस के लिए निराश करने वाला दिन यही वजह है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव परिणाम सामने आने के बाद कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अपने ताजा बयान में कहा है कि कांग्रेस ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में एक निराशाजनक प्रदर्शन किया, जहां तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव की बात है तो वहां पर 10 साल के अंतराल के बाद द्रमुक-कांग्रेस गठबंधन सत्ता में वापसी लगभग तय थी। रकांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि यह पार्टी के लिए निराश करने वाली स्थिति है। इसके बावजूद केरल में एलडीएफ को कड़ी टक्कर देने पर उन्होंने संतोष भी जताया है।
एलडीएफ को इतना बड़ा जनादेश क्यों? वहीं केरल विधानसभा चुनाव परिणाम 2021 में पार्टी को मिली करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्रन ने कहा है कि एलडीएफ सरकार भ्रष्टाचार के लिए लोगों के बीच बदनाम है। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि प्रदेश की जनता ने इस चुनाव में मौजूदा मुख्यमंत्री को इतना बड़ा जनादेश क्यों दिया गया? हम यूडीएफ की हार के पीछे के कारणों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करेंगे।
केरल में बीजेपी फिर खाली हाथ? हालांकि, केरल में बीजेपी एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो पाई। पलक्कड सीट से मेट्रो मैन ई श्रीधरन, कोन्नि और मंजेश्वरम सीट से बीजेपी नेता और प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन, त्रिशूर से अभिनेता सुरेश गोपी और नेमोम सीट कुम्मानम राजशेखरम को भी हार झेलनी पड़ी है। इन सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशियों ने शुरुआती बढ़त हासिल की थी। इन्हीं सीटों पर बीजेपी को जीत की उम्मीद भी थी। लेकिन केरल में एक भी सीट बीजेपी के जीत नहीं पाई। इसके बावजूद बीजेपी नेताओं में हार को लेकर खलबली नहीं है। इसके पीछे वजह यह है कि बीजेपी जब तक मुस्लिम या इसाई मदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत नहीं करेगी, तब तक उसके लिए केरल में जीत हासिल करना मुश्किल है।