इसलिए कांग्रेस और रावत की नजर
कांग्रेस पार्टी से टिकट मिलने के बाद टिकट कट जाने से नाराज हुईं पूर्व ब्लाक प्रमुख संध्या डालाकोटी ने भी ‘ महिला के अपमान में संध्या डालाकोटी मैदान में ‘के स्लोगन के साथ अपना निर्दलीय नामांकन करके कांग्रेस बागी के रूप में हरीश रावत के सामने चुनौती पेश कर दी। ऐसे में कांग्रेस और रावत के सामने बड़ी चुनौती है।
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हरीश रावत के सामने बीजेपी से बड़ी चुनौती अपने परिवार को संभालने में आ रही है। लालकुंआ से संध्या डालाकोटी को टिकट देना और फिर काट देना हरीश रावत के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। जो कि इस सीट पर हरीश रावत की किस्मत का फैसला करने जा रही है।
हरीश रावत के लिए राहत की बात ये है कि पुराने दिग्गज हरीश दुर्गापाल और हरेन्द्र बोरा इस समय रावत के साथ कदम से कदम मिला रहे हैं।
दोनों बतौर निर्दलीय यहां से चुनाव लड़ चुके हैं। दुर्गापाल 2012 में 25 हजार से अधिक वोट लेकर यहां निर्दलीय चुनाव जीते थे। 2017 में दुर्गापाल को टिकट मिलने पर हरेन्द्र बोरा ने बगावत की और उन्हें 14,709 से अधिक वोट मिले थे।
लेकिन हरीश रावत को इस बात का एहसास है कि लालकुंआ जीतना उनके लिए आसान नहीं है, इसकी वजह से हरीश रावत पिछले लंबे समय से लालकुंआ में ही ज्यादा समय बिता रहे हैं।
बीजेपी के नवीन दुमका से मुकाबला
हरीश रावत के सामने निर्दलीय के अलावा बीजेपी के मजबूत दावेदार हैं। भाजपा ने अपने सिटिंग विधायक नवीन दुमका का टिकट काटकर बीजेपी से निष्कासित रहे मोहन बिष्ट पर भरोसा जताया। जो कि काफी मजबूत बताए जा रहे हैं।
लालकुंआ पर जातिगत समीकरण
लालकुंआ सीट पर करीब 42 परसेंट ब्राह्मण मतदाता हैं, ठाकुर मतदाताओं की संख्या करीब 33 परसेंट है। हालांकि एससी और अल्पसंख्यक मतदाता ही यहां हार जीत तय करेंगे। लालकुंआ सीट पर एक बार निर्दलीय और एक बार बीजेपी का कब्जा रहा है।
पिछली बार कौन जीता?
2012 में हरीश चंद्र दुर्गापाल ने निर्दलीय चुनाव जीता। 2017 में भाजपा के नवीन चंद्र दुम्का यहां से विधायक बने।
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