चिल्लूपार सीट से 6 बार विधायक रहे हैं हरिशंकर तिवारी गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की वर्तमान सियासत में लंबे अर्से से हरिशंकर तिवारी का परिवार चर्चाओं से दूर रहा है। इस परिवार का पूर्वांचल के जातिगत समीकरणों में तिवारी परिवार की दखल आज भी बरकरार है। वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ला बताते हैं कि करीब 80 के दशक में हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र प्रताप शाही के बीच वर्चस्व की जंग ने ब्राह्मण बनाम ठाकुर का रूप ले लिया था। माना जाता है कि इन्हीं दो बाहुबलियों के विधायक बनने के बाद यूपी की सियासत में बाहुबलियों की एंट्री शुरू हुई। हरिशंकर तिवारी चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार विधायक रहे। कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और मुलायम सिंह यादव की सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे।
यूपी की सियासत में तिवारी परिवार का रहा है दबदबा 2007 के चुनाव में बसपा के राजेश त्रिपाठी ने उन्हें चुनाव हरा दिया। लेकिन इसके बाद भी यूपी की सियासत में तिवारी परिवार का जलवा कम नहीं हुआ। उनके बड़े बेटे कुशल तिवारी संतकबीरनगर से दो बार सांसद रहे, तो छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी चिल्लूपार सीट से विधायक हैं। जबकि हरिशंकर तिवारी के भांजे गणेश शंकर पांडेय बसपा सरकार में विधान परिषद सभापति रहे हैं। अब कहा जा रहा है कि ये सभी नेता सपा में शामिल हो सकते हैं।
भाजपा-बसपा के लिए तिवारी परिवार बना चिंता का विषय राजनीति जानकारों का मानना है कि यदि तिवारी परिवार समाजवादी पार्टी का दामन थामता है, तो यह बसपा के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के लिए भी चिंता का विषय हो सकता है। इसे जहां बसपा की सोशल इंजीनियरिंग को झटका माना जा रहा है, वहीं सियासी जानकारों का कहना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में ब्राह्मणों की नाराजगी भाजपा के लिए भी कुछ सीटों पर मुश्किल खड़ी कर सकती है। सपा, बसपा और कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दल ब्राह्मणों को लुभाने में जुटे हैं। भाजपा का कोर वोटर माना जाने वाला ब्राह्मण वर्ग यदि उससे दूर जाने के साथ ही किसी एक पार्टी के साथ लामबंद होता है तो यह परेशानी का कारण बन सकता है।
मायावती ने सभी को दिखाया पार्टी से बाहर का रास्ता बसपा सुप्रीमो मायावती के निर्देश पर चिल्लूपार के विधायक विनय शंकर तिवारी उनके बड़े भाई समेत तीन लोगों को पार्टी से निकाल दिया गया। यह कार्रवाई गोरखपुर मंडल के मुख्य सेक्टर प्रभारी सुधीर कुमार भारती द्वारा की गई है। विनय शंकर तिवारी और उनके बड़े भाई कुशल तिवारी और गणेश शंकर पांडे के सपा में जाने की चर्चाएं तेज होने के बाद यह कार्रवाई की गई है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है की गोरखपुर जिले की चिल्लूपार विधानसभा सीट के विधायक विनय शंकर तिवारी और इनके बड़े भाई कुशल तिवारी पूर्व सांसद और इनके रिश्तेदार गणेश शंकर पांडे को पार्टी में अनुशासनहीनता करने व वरिष्ठ पदाधिकारियों से सही व्यवहार न रखने के कारण बहुजन समाज पार्टी से तत्काल प्रभाव से निष्कासित किया गया है।
डेढ़ दशक से बसपा में थे कुशल-विनय शंकर तिवारी बता दें कि पूर्व मंत्री और बाहुबली हरिशंकर तिवारी दोनों बेटे व भांजा पिछले डेढ़ दशक से बसपा में थे। जुलाई 2007 में उन्होंने बसपा ज्वाइन की थी। हालांकि पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी ने कभी बसपा की सदस्यता ग्रहण नहीं की है। वह निर्दलीय ही चुनाव लड़ते रहे। विनय शंकर तिवारी ने बसपा के टिकट पर बलिया लोकसभा उप चुनाव से राजनीत में कदम रखा। वहां से चुनाव हार गए थे। वहीं 2008 में खलीलाबाद लोकसभा उप चुनाव में उनके बड़े भाई कुशल तिवारी बसपा से मैदान में उतरे और सांसद बने। 2009 में दोनों भाइयों को बसपा ने एक बार फिर प्रत्याशी बनाया। विनय शंकर गोरखपुर लोकसभा से तो वहीं खलीलाबाद से कुशल तथा महराजगंज लोकसभा सीट से गणेश शंकर पांडेय चुनाव मैदान में उतरे। इनमे कुशल अपनी सीट बचाने में कामयाब हुए, वहीं बाकी दोनों लोग चुनाव हार गए थे।