वर्ष 2022 के ये है चुनौती
Uttar Pradesh Assembly Election 2022 को लेकर न केवल भाजपा के लिए सीट पर कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है बल्कि सपा भी पूरी ताकत से इस सीट को वापस पाने की कोशिश में है। क्षेत्र में अखिलेश यादव के नाम पर चौपालें लगाकर किसानों की समस्याएं सुनी जा रही हैं और उनकी समस्याएं दूर करने का आश्वासन भी दिया जा रहा है। भाजपा जन विश्वास यात्राओं के जरिए अधिक से अधिक चुनावी समर्थन जुटाने की फिराक में है। सपा के कार्यकर्ता जहां अखिलेश यादव सरकार की उपलब्धियां गिनाकर समर्थन जुटाने की कोशिश में हैं तो भाजपा मोदी-योगी सरकार की उपलब्धियों के सहारे जीत का दावा कर रहे हैं।
Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : सिधौली के बसपा विधायक हो चुके सपाई, अब टिकट को लेकर दलों में कसमकश
चीनी मिल बड़ा मुद्दादरअसल महोली चीनी मिल के विस्तार के लिए 1985 में जमीन अधिग्रहीत की गई थी। तब लोगों से यह वादा भी किया गया था कि उन किसानों के परिवार के लोगों को नौकरी भी मिलेगी जिनकी जमीन अधिग्रहीत की गई है लेकिन वक्त बीतने के साथ ही नौकरी की आस भी धूमिल हो गई। चीनी मिल का विस्तार तो नहीं हुआ उल्टे जिन हजार कर्मचारियों को काम मिला था, 1998 में घाटे के कारण मिल बंद होने से उनकी भी नौकरी चली गई। स्थानीय लोग कहते हैं घाटे से उबरने के लिए कोई ठोस प्रयास हुए होते तो कम से कम क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलता। हालांकि स्थानीय विधायक शशांक त्रिवेदी त्रिवेदी समय-समय पर लोगों को आश्वस्त करते रहते हैं कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से बात हो चुकी है लेकिन अभी जमीनी हकीकत पहले जैसी ही है। मूंगफली की खेती करने वाले किसान भी रकबा कम करते जा रहे हैं, क्योंकि किसानों को मूंगफली का बाजार नहीं मिल रहा है। इसकी एक बड़ी वजह मूंगफली आधारित उद्योगों पर ताला लगना है।