scriptतीन सी और दो एम तय कर रहे नगालैंड के चुनाव | Nagaland Elections 2023: 3 C and 2 M Are deciding polls in Nagaland | Patrika News

तीन सी और दो एम तय कर रहे नगालैंड के चुनाव

locationकोलकाताPublished: Feb 25, 2023 03:55:09 pm

Submitted by:

Paritosh Dube

कोहिमा की सर्द वादियां हो या दीमापुर की चहल पहल नगालैंड की चुनावी पटकथा तीन सी और दो एम तय कर रहे हैं। दिहाड़ी मजदूरों से लेकर बुद्धजीवी, राजनीतिक दलों से लेकर उनके नेता- समर्थक, चुनाव के प्रबंधकों से लेकर स्टार प्रचारक इन्हीं सी और एम के इर्दगिर्द अपनी बातें कह रहे हैं।

तीन सी और दो एम तय कर रहे नगालैंड के चुनाव

तीन सी और दो एम तय कर रहे नगालैंड के चुनाव


दीमापुर से परितोष दुबे

कोहिमा की सर्द वादियां हो या दीमापुर की चहल पहल नगालैंड की चुनावी पटकथा तीन सी और दो एम तय कर रहे हैं। दिहाड़ी मजदूरों से लेकर बुद्धजीवी, राजनीतिक दलों से लेकर उनके नेता- समर्थक, चुनाव के प्रबंधकों से लेकर स्टार प्रचारक इन्हीं सी और एम के इर्दगिर्द अपनी बातें कह रहे हैं। पत्रिका ने दीमापुर से लेकर दीफुपार, मारवाड़ी पट्टी से लेकर चार माइल इलाके तक कई लोगों से बातचीत में नगालैंड की चुनावी नब्ज पकड़ने की कोशिश में इसी बात का पता लगाया।

पहली सी फॉर सिविल सोसायटी
नगालैंड की चुनावी बिसात में सिविल सोसायटी की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। पढ़े लिखे नगा बौदि्धक चर्चा के जरिए जनादेश निर्धारण के इस महारण के महारथी हैं। चुनावी मौसम आते ही अलग अलग सभागारों में समाज के नुमाइंदे ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। मतदाताओं को आदर्श आचार संहिता के पालन की घूंटी पिला रहे हैं। आश्चर्य जनक बात है कि राजनीतिक दलों की सभाओं में समर्थकों को जुटाने के लिए संसाधन लगाने पड़ते हैं वहीं सिविल सोसायटी की सभाओं में लोगों काे घंटों विमर्श करते देखा जा रहा है।

दूसरी सी फॉर चर्च

चुनावी मौसम में चर्च और उनके संगठन सक्रिय हैं। चर्चों के धर्मगुरू राज्य की 90 फीसदी आबादी को जनतंत्र के इस सबसे बड़े उत्सव में शामिल होने की अपील करते देखे जा रहे हैं। धर्म गुरु धार्मिक ग्रंथों में कही गई बातों को सामने रख रहे हैं लेकिन उसे मतदान की राजनीति से नहीं जोड़ते उनके उपदेशों या विचारों में कहीं किसी राजनीतिक दल का जिक्र नहीं आता।
तीसरी सी फॉर कमेटी
नगालैंड के ग्रामीण इलाकों में कमेटियां जिसे वीसी या विलेज कमेटी कहा जाता है हमेशा से ही राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रही हैं। कई इलाकों में तो विलेज कमेटी का फरमान आखिरी होता है। कमेटियां ही प्रत्याशी तय करने से लेकर जनादेश तय करने का काम करती हैं। हालांकि इन कमेटियों पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों का प्रभाव भी काफी हद तक रहता है।

पहला एम यानि मनी

सारे देश की तरह मनी नगालैंड में भी चुनावी बिसात के सबसे अहम मोहरों में से एक है। इसीलिए चाहे सिविल सोसायटी हो या चर्च या फिर चुनाव आयोग सभी को मतदाताओं से यह कहना पड़ रहा है कि वे अपना वोट खुद डालें। चुनाव से पैसे को दूर रखने के लिए राज्य में जगह-जगह क्लीन इलेक्शन के अभियान भी चलाए जा रहे हैं।
दूसरा एम यानि मोदी
नगालैंड के चुनावी मैदान में दीमापुर से लेकर कोहिमा तक प्रचार अभियान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सबसे बड़ा चेहरा बने हुए हैं। प्रचार सामाग्री से लेकर चुनावी चर्चा भी भारत के सबसे बड़े चुनाव प्रचारक मोदी के इर्द गिर्द ही घूम रही है। नगालैंड के सोशल मीडिया में केन्द्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से लेकर भाजपा के चुनावी वायदे छाए हुए हैं।
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