देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू फूलपुर से संसद में पहुंचते थे। बाद में विजयलक्ष्मी पंडित भी फूलपुर से जीती। वर्तमान में कांग्रेस हाशिए पर है। राजीव गांधी के समय कांग्रेस से जुड़े इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर रामकिशोर शास्त्री से जब कांग्रेस की स्थिति पर सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि नरसिंह राव सरकार के समय जिस दिन यहां मायावती से पार्टी का गठबंधन हुआ और मात्र 125 सीटों पर पार्टी ने चुनाव लड़ा, तब से यहां कांग्रेस की स्थिति कमजोर होती गई। उन्होंने कहा कि अब मुश्किलें इसलिए बढ़ गई हैं, क्योंकि राजनीति में पूरी तरह से जातिवाद और धर्म के आधार पर विभाजन हो रहा है। ऐसे में यहां कांग्रेस की डगर कठिन है। पुराने कांग्रेसी वोटर प्रियंका गांधी के प्रचार अभियान से बदल जाएं, तो भाजपा के लिए चिंता बढ़ सकती है।
इलाहाबाद पश्चिम से पांच बार विधायक और फूलपुर से सांसद रह चुके बाहुबली नेता अतीक अहमद इस समय साबरमती जेल में हैं। शहर में अतीक का नाम काफी था, पर अब अतीक का खौफ अतीत बन चुका है। शहर के रजाई व्यवसायी मोहम्मद आलम ने कहा कि अतीक को जेल में बंद करने से अपराध कम नहीं हुए हैं। अपराध तो पहले से बढ़ गए हैं। सपा और कांग्रेस अपराध और अपराधियों में भेदभाव को मुद्दा बना रहे हैं। फाफामऊ के एक गांव में एक ही परिवार के चार लोगों की हत्या के मामले में बीते सप्ताह प्रियंका गांधी पीडि़तों से मिलने पहुंची थीं।
मीठे अमरूदों के लिए प्रसिद्ध प्रयागराज में इस काम से जुड़े लोग दुखी हैं। कीड़े की समस्या के कारण उपज अच्छी नहीं हुई। अहमदपुर पावनी गांव के फल व्यवसायी चंद्रेश सोनकर ने बताया कि सरकार समस्या की जड़ पर ध्यान नहीं दे रही। उन जैसे हजारों फल व्यवसाइयों का मानना है कि मोबाइल टावर की वजह से चिडिय़ों की संख्या कम हो गई है। अब पेड़ों में कीड़े कौन मारे? उनके साथी शुभम सोनकर और मंजीत सिंह ने कहा कि अमरूद के भाव तो वही हैं, पर अन्य खर्चे बढ़ गए। महंगाई बड़ा मुद्दा है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की डॉ. सुरभी त्रिपाठी का कहना है कि महंगाई मुद्दा नजर आ रहा है। छात्र बेरोजगारी को लेकर भी मुखर हैं। झूंसी क्षेत्र के किसान रामभरोसे यादव ने कहा कि किसानों का मुद्दा केवल कृषि कानून नहीं है। आवारा पशु और नीलगाय बड़ी समस्या है। नील गाय की वजह से कई किसानों ने दलहन की खेती ही बंद कर दी। इन समस्याओं का समाधान जरूरी है, पर राजनीतिक दल अलग ही मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं।
फूलपुर और इलाहाबाद लोकसभा क्षेत्रों के साथ ही क्षेत्र में 12 विधानसभा सीटें हैं। विधानसभा में भाजपा का दबदबा है। 9 सीट बीजेपी के पास हैं। एक सपा और दो बसपा के पास हैं। बसपा के दोनों विधायक सपा के पाले में आ चुके हैं। लोकसभा की दोनों सीटें भाजपा के पास हैं। 2019 से पहले हुए लोकसभा उपचुनाव ने यहां एक बार भाजपा की नींद उड़ा दी थी और गठबंधन को नए सपने दिखाए थे, पर आम चुनाव में पार्टी ने राहत की सांस ली थी।