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टूटता तिलिस्म – पार्ट 3, राजघरानों की रियासत तो गयी पर यूपी में सियासत तो है

locationलखनऊPublished: Dec 22, 2021 03:43:33 pm

Submitted by:

Vivek Srivastava

देसी रियासतों के भारत में विलय के बाद कई राज परिवारों ने लोकतंत्र के जरिए जनता पर शासन करने की नीति पर काम किया और काफ़ी हद तक इसमें सफल भी रहे हैं। अब जबकि यूपी में 18वीं विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है एक बार फिर उप्र के कई राजे-रजवाड़े चुनावी मैदान में कूदने की तैयारी में हैं। राजपरिवारों के कुछ वारिस सपा के साथ हैं तो कुछ भाजपा के साथ।

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लखनऊ. देसी रियासतों के भारत में विलय के बाद कई राज परिवारों ने लोकतंत्र के जरिए जनता पर शासन करने की नीति पर काम किया और काफ़ी हद तक इसमें सफल भी रहे हैं। अब जबकि यूपी में 18वीं विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है एक बार फिर उप्र के कई राजे-रजवाड़े चुनावी मैदान में कूदने की तैयारी में हैं। राजपरिवारों के कुछ वारिस सपा के साथ हैं तो कुछ भाजपा के साथ। कुछ निर्दलीय मैदान में उतरने की तैयारी में है। टूटता तिलिस्म – पार्ट 3 में आइये जानते हैं कुछ और रियासतों के बारे में –
आगरा का भदावर राजघराना

इस सियासत के राजा महेंद्र अरिदमन सिंह का सियासत से नाता रहा है। कभी वो खुद सियासत में सक्रिया हुआ करते थे मगर अब वो उतना सक्रिय नहीं रहते बल्कि उनकी पत्नी रानी पक्षालिका सिंह सियासत में सक्रिय हैं। राजा महेंद्र अरिदमन सिंह इस सीट से छह बाह विधायक रह चुके हैं।
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बिजनौर का सौपरी राजघराना

इस राजघराने के कुंवर सुशांत सिंह सियासत से जुड़े हुए हैं। वह अपने पिता मुरादाबाद से भाजपा सांसद कुंवर सर्वेश सिंह की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

बागपत के नवाब
अब बात नवाबी खानदानों की। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नवाबों का भी सियासत से गहरा नाता रहा है। बागपत विधानसभा सीट पर 25 साल तक विधायक रहने वाले नवाब कोकब हमीद के बाद अब उनके बेटे अहमद हमीद भी सियासत में हाथ आज़मा रहे हैं।
ललितपुर के राजघराना

ललितपुर के राजघराने के राजा बुंदेला सियासत से पहले सिनेमा में थे। मगर अब वो बुंदेलखंड की सियासत में किस्मत आजमा रहे हैं। उन्होंने बुंदेलखण्ड कांग्रेस के नाम से अपनी पार्टी भी बनायी थी।
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इलाहाबाद का बरांव राजघराना

इलाहाबाद के बरांव राजघराने का सियासत से पुराना रिश्ता रहा है। इसके वारिस उज्जवल रमण सिंह परंपरागत करछना सीट से सियासत में हाथ आजमा चुके हैं। उज्जवल के पिता रेवती रमण सिंह करछना से आठ बार विधायक रह चुके हैं।
बहराइच का पयागपुर राजघराना

बहराइच का पयागपुर राजघराना राजनीति में काफी समय तक सक्रिय रहा। राजा रुदवेंद्र विक्रम सिंह वर्ष 1991 में राम मंदिर लहर के दौरान कैसरगंज से जीते। उनसे पहले पयागपुर के राजा केदार राज जंगबहादुर फखरपुर सीट से जीते।
बहराइच का बेडऩापुर राजघराना

बेडऩापुर राजघराने की राजकुमारी देविना सिंह वर्ष 2012 के चुनाव के पहले राजनीति में सक्रिय रहीं। देविना की दादी बसंत कुंवरी स्वतंत्र पार्टी से वर्ष 1962 में कैसरगंज से सांसद रहीं। इसी तरह दो राजघराने नानपारा और चरदा रियासतों से संबंध रखने वाले राजघरानों के लोग आज भी हैं। लेकिन वह सियासत से दूर अपने निजी व्यवसाय से जुड़े हुए हैं।
कुशीनगर का पडरौना राजघराना

कांग्रेस के पूर्व सांसद कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह (आरपीएन सिंह) को यूपी के पडरौना का राजा साहेब कहा जाता है। वह इसी नाम से प्रसिद्ध हैं। आरपीएन के पिता कुंवर सीपीएन सिंह कुशीनगर से सांसद थे। वह 1980 में इंदिरा गांधी कैबिनेट में रक्षा राज्यमंत्री भी रहे।
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