चुनाव आयोग को याद दिलाई उसकी जिम्मदारी
हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को भी आड़े हाथों लिया है। साथ ही उसकी जिम्मेदारियों को भी याद दिलाया है। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग वोटर्स की गोपनीयता की रक्षा के लिए एक संवैधानिक संस्था है। हाईकोर्ट ने सवाल किया कि क्या चुनाव आयोग इस मामले की जांच कर रहा है कि बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है या नहीं। हाईकोर्ट ने कहा कि यूआईडीएआई को उन चिंताओं और आरोपों पर जवाब देना चाहिए जो राजनीतिक अभियानों को बढ़ावा देने के लिए पुडुचेरी में भाजपा द्वारा केवल आधार-लिंक्ड मोबाइल नंबरों पर बल्क एसएमएस भेजे गए थे।
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लगा है इस तरह का आरोप
डीवाईएफआई ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि पुडुचेरी में बीजेपी ने बूथ लेवल पर व्हाट्सएप ग्रुप्स को आमंत्रित लिंक भेजने के लिए मतदाताओं के आधार कार्ड के डाटा का यूज किया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में कहा है कि यह एक गंभीर मामला है और नागरिकों की गोपनीयता भी भंग हो रही है। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने कहा कि यह एक विश्वसनीय और चौकाने वाला आरोप है कि केवल आधार कार्ड से जुड़े मोबाइल फोन पर एसएमएस संदेश मिले हैं। यूआईडीएआई को जवाब देने के यह पर्याप्त आधार है।
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नहीं की जा सकती है अनदेखी
हाईकोर्ट ने कहा कि पार्टी ने आधार कार्ड के जरिए अपनी पॉवर का इस्तेमाल करते हुए अनुचित लाभ प्राप्त किया है। वहीं वोटर्स की निजता भंग करने का गंभीर मामला भी है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में जिस तरह का सियासी माहौल देखने को मिल रहा है, उसमें इसकी बिल्कुल भी अनदेखी नहीं की जा सकती है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि पुडुचेरी भाजपा के इस तर्क को भी बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने डेटा डोर-टू-डोर अभियान के दौरान एकत्र किया है। भाजपा की पुदुचेरी इकाई के वकील ने कोर्ट से कहा कि पार्टी ने कोई सेलफोन डेटा चोरी नहीं किया है।