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पुडुचेरी में थी पहले रिप्रेजेंटेटिव असेंबली
पुडुचेरी जिसे पहले पांडिचेरी कहा जाता था में लेजिस्लेटिव असेंबली की जगह रिप्रेजेंटेटिव असेंबली हुआ करती थी। जिसका पहली बार गठन गठन 1955 में पांडिचेरी प्रतिनिधि सभा चुनाव के बाद हुआ था। हालांकि, यह सरकार स्थिर नहीं थी, क्योंकि सत्ता पक्ष व्यक्तिगत तनावों और गुटों से ग्रस्त था। भारत सरकार को सदस्यों की पार्टी संबद्धता के परिवर्तन के कारण उत्पन्न अस्थिरता के बाद आखिरकार विधानसभा को हस्तक्षेप करना पड़ा। उसके बाद अक्टूबर 1958 में मुख्य आयुक्त ने प्रशासन का कार्यभार संभाला। उसके 9 महीने बाद, 1959 में पांडिचेरी प्रतिनिधि सभा के लिए दूसरे आम चुनाव हुए। आपको बता दें कि पहले यहां 39 सीटों पर चुनाव होते थे, जहां से मंबर्स चुनकर आते थे ना कि एमएलए।
इस साल हुआ विधानसभा में परिवर्तन
पांडिचेरी प्रतिनिधि सभा 1 जुलाई 1963 को केंद्र शासित प्रदेश अधिनियम, 1963 की धारा 54 (3) के अनुसार विधानसभा में परिवर्तित हो गई थी। 1959 के चुनावों में चुने गए सभी 39 सदस्यों को पांडिचेरी की पहली विधानसभा के लिए भी चयन हो गया। जिनका कार्यकाल 01 जुलाई 1963 से 24 अगस्त 1964 तक था। जिसके बाद पुडुचेरी भारत का ऐसा पहला केन्द्रशासित प्रदेश बन गया था जहां विधानसभा और चुनी हुई सरकार की एक संवैधानिक व्यवस्था थी। बाद में पुडुचेरी की ही तजऱ् पर दिल्ली में भी चुनी हुई सरकार और विधानसभा की व्यवस्था की गई। जहां पर 1993 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए और पहले सीएम साहब सिंह वर्मा हुए। वहीं पांडिचेरी विधासभा के गठन के बाद एडोर्ड गौबर्ट को चीफ मिनिस्टर बनाया गया था।
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मौजूदा समय में क्या है स्थिति
मौजूदा समय में पांडिचेरी से नाम बदलकर पुडुचेरी कर दिया गया है। जहां पर 33 विधानसभा सीटें हैं। 3 सीटों पर केंद्र सरकार नामित सदस्य होते हैं। जबकि 30 पर जनता के द्वारा चुने सदस्य आते हैं। पुडुचेरी में 6 अप्रैल को मतदान होगा। 2 मई को रिजल्ट आ जाएगा। अब देखने वाली बात होगी कि आखिर जनता इस असेंबली में किस पार्टी की के मेंबर्स को चुनकर लेकर आती है।