करीब 3 फीसदी तक कम हो सकता है मतदान
वैसे तो अभी इलेक्शन कमीशन की ओर से पुख्ता आंकड़े सामने नहीं आए हैं, लेकिन इस बार पुडुचेरी में 81.88 फीसदी वोटिंग का अनुमान लगाया गया है। जबकि 2016 के चुनाव के दौरान पुडुचेरी में 85.08 फीसदी पोलिंग हुई थी। जबकि 2011 में यह आंकड़ा 85.52 फीसदी था। अगर बात कराइकल की करें तो वहां यह आंकड़ा 80.08 फीसदी और माहे में 73.53 फीसदी था।
किस तरह से हुआ मतदान
दोपहर तक 1,558 मतदान केंद्रों पर कुल मतदान लगभग 35.64 फीसदी हुआ था, जो दोपहर 2 बजे तक, 53 फीसदी तक पहुंचा था और शाम 6 बजे तक लगभग 78 फीसदी तक पहुंच गया था। थिरुवुबाई, ओसुदु, इमबालम, नेत्तकपक्कम और नेदुंगडु के पांच आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान 80 से 85 फीसदी के बीच रहा। सबसे भारी मतदान यानम (90.79 फीसदी) से हुआ था, जहां कांग्रेस ने चुनाव नहीं लड़ा था, और राजभवन में सबसे कम 73.24 फीसदी देखने को मिला।
कितने थे वोटर्स
पुडुचेरी में इस बार 10,04,507 वोटर्स थे। खास बात तो ये है कि महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले ज्यादा रही। जहां महिला मतदाता 5,31,383 रहीं और पुरुषों की संख्या 4,72,341 देखने को मिली। इनके अलावा 116 मतदाता ट्रांसजेंडर्स और 11,915 डिसेबल लोगों की थी। इस बार इलेक्शन में 31,864 वोटर्स ने पहली बार मतदान किया। वहीं 17,041 वोटर्स वो थे, जिनकी उम्र 80 वर्ष से ज्यादा थी।
पार्टियों की स्थिति
30 सीटों वाली विधानसभा (जिसमें तीन अतिरिक्त मनोनीत विधायक भी हैं) के लिए कांग्रेस, डीएमके, सीपीआई और वीसीके के गठबंधन से एनडीए एआईएनआरसी, बीजेपी और एआईएडीएमके के गंठबंधन के साथ है। कांग्रेस 14 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। जबकि उसने एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन दिया है। डीएमके ने 13 सीट, सीपीआई और वीसीके को एक सीट पर चुनाव लड़ा है। माकपा, जिसे कोई सीट आवंटित नहीं की गई थी, ने मुथियालपेट निर्वाचन क्षेत्र में एक उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। वहीं दूसरी ओर एआईएनआरसी 16 सीटों पर, भाजपा 9 और अन्नाद्रमुक पांच में उम्मीदवार उतारे थे। मैदान में 324 उम्मीदवारों में अम्मा मक्कल मुनेत्र कडग़म, नाम तमिलर काची और मक्कल नीडि माईम जैसे कई निर्दलीय दलों के अलावा कई निर्दलीय उम्मीदवार भी शामिल थे।