अखिलेश यादव ने की थी फोन पर बात बताया जाता है कि इस मुलाकात से पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राजा भैया से फोन पर बात की थी। अखिलेश और राजा भैया की बात होने के बाद गुरुवार सुबह जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष सपा संरक्षक से मुलाकात करने उनके आवास पहुंचे थे।
जन्मदिन की शुभकामनाएं देने आया था- राजा भैया सपा संरक्षक से मिलने के बाद रघुराज प्रताप सिंह ने कहा कि हम मुलाकात करने आये थे। उन्होंने कहा कि इस मुलाकात को चुनाव से जोड़कर न देखा जाए। राजा भैया ने कहा कि, वे हमेशा मुलायम सिंह के जन्मदिन पर उनसे मिलकर शुभकामनाएं देते रहे हैं, लेकिन इस बार बाहर होने के कारण जन्मदिन पर शुभकामनाएं नहीं दे पाया था। वहीं सपा संरक्षक और राजा भैया की मुलाकात के बाद सियासी गलियारों में अटकलों का दौर तेज हो गया। लोग इसे समाजवादी पार्टी और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के बीच गठबंधन से भी जोड़कर देख रहे हैं।
राजा भैया ने 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का किया है एलान बता दें कि जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह ने उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया है। राजा भैया की इस चुनाव में महंगाई और किसानों के समस्या को लेकर उतरने की तैयारी में है।
बसपा छोड़ हर सरकार में रहा है जलवा यूपी की सियासत में वैसे तो राजा भैया का हर सरकार में जलवा रहा है। लेकिन 2002 में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को यूपी की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने उन्हें जेल भिजवाया था।
मायावती ने भिजवाया था जेल मायावती ने बीजेपी विधायक पूरण सिंह बुंदेला की शिकायत पर 2 नवंबर 2002 को राजा भैया को गिरफ्तार करवा दिया था। राजा भैया, उनके पिता और चचेरे भाई पर आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) की धाराएं लगाई गई थीं। सरकार ने राजा भैया के 600 एकड़ में फैले तालाब को कब्जे में लेकर अभ्यारण्य घोषित कर दिया था। राजा भैया की मुश्किलें मायावती के इस्तीफे से ही कम हुई थी।
मुलायम सिंह ने दिया था पोटा हटाने का आदेश अगस्त 2003 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के आधे घंटे बाद ही मुलायम सिंह यादव ने राजा भैया से पोटा हटाने का आदेश जारी कर दिया। बाद में राजा भैया को मुलायम सरकार में खाद्यान मंत्री बनाया गया था। लेकिन 2005 में सुप्रीम कोर्ट और पोटा रिव्यू कमेटी ने राजा भैया और उनके पिता से पोटा हटाने का आदेश रद्द कर उनपर दोबारा मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। इसके बाद राजा भैया ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। राजा भैया को एक बार फिर नवंबर 2005 में गिरफ्तार कर लिया गया था। एक महीने बाद जमानत मिलने पर वो जेल से बाहर आए और मुलायम सिंह की सरकार में उन्हें फिर मंत्री पद मिला। इसके अलावा राजा भैया को ‘कुंडा का गुंडा’ बताने वाले कल्याणा सिंह ने भी उन्हें अपनी सरकार में मंत्री बनाया था।
अखिलेश सरकार में कायम रहा राजा भैया का जलवा राजा भैया का जलवा अखिलेश यादव की सरकार में भी कायम रहा। अखिलेश यादव की सरकार में राजा भैया को पहले जेल विभाग मिला। लेकिन विवाद होने पर उन्हें खाद्य और रसद मंत्री बना दिया गया। 2013 में जब उन पर डीएसपी जियाउल हक की हत्या का आरोप लगा था। राज्य सरकार द्वारा मामले की सीबीआई से जांच कराई गई थी, इसमें राजा भैया बरी हो गए।
योगी के साथ साझा किया था मंच राजा भैया का जलवा योगी सरकार में भी कम नहीं हुआ। अपराध और अपराधियों का विरोध कर मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ शपथ लेने के एक महीने बाद ही राजा भैया के साथ मंच साझा करते नजर आए थे।
कुल मिलाकर एक बार फिर जब उत्तर प्रदेश में राजनीति की बिसात बिछाई जा रही है, तो लोगों को राजा भैया की याद आ रही है। लेकिन इस बार वो जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष के रूप में यूपी के चुनाव मैदान में होंगे।