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Tamil Nadu Assembly Elections 2021: पीएम मोदी का कांग्रेस-डीएमके पर निशाना चेपक के जिस चिदंबरम स्टेडियम में आइपीएल की तैयारी चल रही है। उसी के ठीक सामने चेपक-थिरुवल्लिकेनी विधानसभा सीट के डीएमके उम्मीदवार उदयनिधि स्टालिन का चुनाव कार्यालय पॉलिटिकल लीग की जमावट में जुटा हुआ है। उदयनिधि डीएमके चीफ एमके स्टालिन के बेटे और दिवंगत दिग्गज तमिल नेता एम करुणानिधि के पोते हैं।
चुनाव कार्यालय में एक खास बात यह नजर आई कि कार्यालय के ऊपरी हिस्से में कांग्रेस व कम्युनिस्ट सहित 10 दलों के झंडों की जगह दी गई है। इस पर ऑफिस का कामकाज देखने वाले आरके ने कहा कि गठबंधन साथियों को लेकर यह पार्टी के सोचने का तरीका है, सभी चुनाव कार्यालयों में ऐसे ही झंडे लगे मिलेंगे। हालांकि तस्वीर केवल डीएमके नेताओं की लगी होने पर कोई जवाब नहीं दिया।
दादा का मैदान, पोते की लॉन्चिंग अभिनेता से नेता बने उदयनिधि पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं। चेपक-थिरुवल्लिकेनी सीट उनकी विरासत है। उनके दादा और तमिल राजनीति के दिग्गज एम करुणानिधि इस सीट से तीन बार विधायक रहे हैं। यह सीट उदयनिधि का लॉन्च पैड इसलिए भी है क्योंकि 1977 से लेकर अब तक केवल एक बार डीएमके की 1991 में हार पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की श्रीपेराम्बदूर में हुई हत्या के बाद हुए चुनाव में हुई थी।
करुणानिधि के चुनाव से हटने के बाद भी 2011 और 2016 में डीएमके के जे अनबाझागन ने जीत दर्ज की थी। जिनका कुछ माह पहले कोरोना के चलते निधन हो गया था। वहीं, चेन्नई जिले की कोलाथुर सीट से उदयनिधि के पिता और डीएमके चीफ एमके स्टालिन तीसरी बार मैदान में हैं।
चेपक-थिरुवल्लिकेनी डीएमके का गढ़ होने के कारण पार्टी कार्यकर्ताओं के चेहरे में चिंता की लकीरें नहीं दिखती हैं। एआईडीएमके ने समझौते में यह सीट पीएमके को दी है, जिसने गजाली को प्रत्याशी बनाया है। एआईएडीएमके से सीधे मुकाबला नहीं होने से उत्साहित डीएमके कार्यकर्ता आर शिवकुमार कहते हैं कि हम लोग बड़ी जीत की तैयारी कर रहे हैं।
डीएमके के इन दावों के उलट पीएमके उम्मीदवार गजाली के समर्थक एम करुणानिधि के प्रतिनिधित्व होने के बाद भी चेपक में काम नहीं होने का मुद्दा उछाल रहे तो गजाली खुद वंशवाद को लेकर तंज कस रहे हैं। वे उदयनिधि स्टालिन के क्षेत्र से गायब रहने को भी उठा रहे हैं। पूरे इलाके में झंडे-बैनर नजर नहीं आते हैं। सभी प्रत्याशियों ने डोर-टू-डोर का अभियान ही चला रखा है।
आग लगे तो फायरब्रिगेड पहुंचना भी मुश्किल घनी आबादी के कारण क्षेत्रफल के लिहाज से चेपक-थिरुवल्लिकेनी चेन्नई जिले की सबसे छोटी सीट है। संकरी गलियां और ट्रैफिक जाम यहां की सबसे बड़ी समस्या है। जो दिवंगत दिग्गज नेता एम करुणानिधि के मुख्यमंत्री रहते भी नहीं सुलझ पाई।
स्थानीय निवासी सेल्वाकुमार कहते हैं यहां तो आग लगने पर कई कॉलोनियों में फायर ब्रिगेड तक का पहुंचना मुश्किल है। स्टेडियम के आसपास भी खाली जगह नहीं बची है। चेन्नई में दबदबा बनाने की जुगत
चेन्नई जिले में विधानसभा की 16 सीटें हैं। 2016 में यहां डीएमके का दबदबा रहा है। तब जयललिता के जिले की आरकेनगर सीट से उतरने के बाद भी 16 में से महज 5 सीटें ही मिलीं, 11 पर डीएमके जीती। जयललिता के निधन के बाद 2017 के उपुचनाव में इस सीट के एआइएडीएमके उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई और शशिकला के भतीजे टीटीके दिनाकरन ने 40 हजार से अधिक मत से एकतरफा जीत दर्ज की थी।
एआइएडीएमके के साथ भाजपा गठबंधन में है और थाउजेंड लाइट्स सीट उसे मिली है। जिसपर अभिनेत्री खुश्बू सुंदर मैदान में हैं। वे खुद को भाजपा के लिए लकी बता रही हैं।