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UP Assembly Election 2022 : गौरीगंज विधानसभा सीट से हैट्रिक लगाने की तैयारी में समाजवादी पार्टी

वर्ष 2010 से पहले गौरीगंज सुल्तानपुर जिले का हिस्सा था। लेकिन बाद में यह अमेठी जिले में शामिल हो गया था। 2011 के जनगणना के आंकड़ों के अनुसार गौरीगंज की आबादी करीब 3,26,723 है। गौरीगंज की कुल आबादी में 1,65284 पुरूष और 1,61,439 महिलाएं शामिल हैं। इस सीट पर अंतिम बार साल 2002 में कांग्रेस की प्रत्याशी ने जीत दर्ज की।

Oct 27, 2021 / 06:00 pm

Hariom Dwivedi

लखनऊ. Uttar Pradesh Assembly elections 2022 उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सियासी पारा चरम पर है। सभी राजनीतिक दलों के मौजूदा विधायक अपनी-अपनी सीट बचाने की जुगत में लगे हुए हैं। वहीं इन सबसे के बीचे कभी कांग्रेस का गढ़ रहा अमेठी जिले की गौरीगंज विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी हैट्रिक लगाने की तैयारी में जुटी है। अपनी सीट को बचाने के लिए 2012 में इस सीट से विधायक रहे और मौजूदा विधायक राकेश सिंह एक बार फिर इस सीट से अपना परचम फहराने की तैयारियों में जुटे हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में सियासी दल यूपी की सत्ता हासिल करने की तैयारियों में लगे हुए हैं।403 विधानसभा क्षेत्र वाले देश के सबसे बड़े राज्य यूपी पर 2022 में कौन शासन करेगा, यह तो विधानसभा चुनाव के परिणाम ही बताएंगे। लेकिन राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस बार यूपी विधानसभा के लिए चुनाव बेहद रोचक होगा।
जानिए गौरीगंज विधानसभा सीट के बारे में

वर्ष 2010 से पहले गौरीगंज सुल्तानपुर जिले का हिस्सा था। लेकिन बाद में यह अमेठी जिले में शामिल हो गया था। 2011 के जनगणना के आंकड़ों के अनुसार गौरीगंज की आबादी करीब 3,26,723 है। गौरीगंज की कुल आबादी में 1,65284 पुरूष और 1,61,439 महिलाएं शामिल हैं। इस सीट पर अंतिम बार साल 2002 में कांग्रेस की प्रत्याशी ने जीत दर्ज की। हालांकि 5 बार इस सीट पर कांग्रेस की महिला प्रत्याशी राजपति देवी ने जीत दिलाई थी। उन्होंने पहली बार गौरीगंज सीट से कांग्रेस का खाता भी खोला था।
कांग्रेस से राजपति देवी 5 बार लगातार रही विधायक

राजपति देवी 1969 और 1974 में लगातार दोबार कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुनी गई थी। इसके बाद उन्होंने 1980, 1985 और 1989 में लगातार तीन बार कांग्रेस से विधानसभा पहुंची। इसके बाद 2002 में कांग्रेस फिर से इस सीट पर जीत हासिल कर सकी। इस बार कांग्रेस से नूर मोहम्मद गौरीगंज सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे।
तीन बार भाजपा और दो बार बसपा ने हासिल की जीत

1990 के दौर में लगातार तीन बार भाजपा का कब्जा रहा। इस सीट से 1991, 1993 और 1996 में भारतीय जनता पार्टी के तेजभान सिंह का कब्जा रहा। वहीं 2003 के उपचुनाव में यह सीट बसपा ने कांग्रेस से छीन ली। इस चुनाव में बसपा से जंग बहादुर विधायक चुने गए थे। इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा के चंद्र प्रकाश गौरीगंज सीट से विधानसभा पहुंचे थे।
2012 में सपा ने पहली बार खोला खाता

इसके बाद 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा ने गौरीगंज विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी। इस सीट से सपा के राकेश प्रताप सिंह ने 44,287 वोट पाकर कांग्रेस के मोहम्मद नईम को 503 मतों से बहुत ही करीबी शिकस्त दी थी। इसके बाद 2017के विधानसभा चुनाव में यूपी में भारी मोदी लहर के बीच सपा प्रत्याशी राकेश सिंह ने अपनी जीत का परचम फहराया था। सपा के राकेश सिंह ने इस बार भी कांग्रेस के मोहम्मद नईम 26 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया था। जबकि 1996 के बाद भाजपा अभी तक यह सीट नहीं जीत सकी है।
सपा की हैट्रिक होगी या भाजपा मिलेगी सीट

2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी गौरीगंज सीट से हैट्रिक लगाने की तैयारी में है। जबकि सबका साथ, सबका विकास का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी इस सीट को हासिल करने के लिए कोई कसर नहीं बाकी रखना चाहती है। अभी यह कहना जल्दबाजी ही होगी कि गौरीगंज विधानसभा सीट किसके खाते में जाएगी, लेकिन इस सीट को पाने के लिए सपा और भाजपा अपनी पूरी ताकत झोंक रही है।

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