योगी की यह घोषणा यहां महंगी भाजपा के लिए महंगी साबित हो सकती है। मिश्रिख विधानसभा क्षेत्र में आने वाले नैमिषारण्य क्षेेत्र के लोगों में झूठी घोषणा का आक्रोश है। उनका यह भी कहना है कि हिन्दुत्व और सनातन धर्म की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले योगी आखिर नैमिषारण्य को क्यों भूल रहे हैं?
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विकास परिषद का भी नहीं हुआ गठन नैमिषारण्य, मिश्रिख और चौरासी कोसी परिक्रमा के विकास के लिए नैमिष विकास परिषद का गठन अब तक नहीं हो पाया जबकि सरकार ने मथुरा, वृंदावन, अयोध्या सहित पांच तीर्थों के विकास परिषद का गठन किया। नैमिषारण्य चक्रतीर्थ सनातन धर्म की आस्था का केन्द्र है। यहां मां ललिता देवी मंदिर, चक्रतीर्थ, व्यास गद्दी, सूत गद्दी, हनुमान गढ़ी सहित कई पौराणिक एवं आध्यात्मिक दर्शनीय स्थल हैं। फाल्गुन की चौरासी कोसी परिक्रमा में लाखों श्रद्धालु आते हैं। दल बदला फिर भी राकेश राठौर हैं प्रत्याशी सीतापुर में कुल 9 विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें से सात पर 2017 में बीजेपी को जीत मिली थी। एक पर सपा और एक सीट बसपा जीती थी। विधानसभा चुनाव 2022 से कुछ समय पहले यहां के बीजेपी विधायक राकेश राठौड़ और सिधौली से बसपा विधायक डॉक्टर हरगोविंद भार्गव सपा में शामिल हो गए। इससे समीकरण थोड़े बदल गए। लेकिन भाजपा ने सीतापुर सीट पर राकेश राठौर गुरु नाम के ही एक भाजपाई को टिकट दिया। यहां सपा से राधेश्याम जायसवाल और बीएसपी से खुर्शीद अंसारी के बीच कड़ा मुकाबला है।
यह है राजनीतिक समीकरण सीतापुर में मुस्लिम, कुर्मी, दलित और ब्राह्मण वर्ग के मतदाता राजनीति तय करते हैं। सामान्य वर्ग 16.5 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग 42 प्रतिशत, एससी 24.5 प्रतिशत, ओबीसी 17 प्रतिशत हैं। 25 साल से कभी भारतीय जनता पार्टी तो कभी समाजवादी पार्टी जीतते रहे। यहां का चुुनाव पूरी तरह से जातीय समीकरणों पर टिका हुआ है। चुनावी चौसर में मुद्दे गौण हैं। भाजपा और सपा के बीच ही मुख्य मुकाबला माना जा रहा है।
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