20 फरवरी को इन जिलों में होगी वोटिंग बता दें कि तीसरे चरण में अवध, पश्चिमी यूपी और बुंदेलखंड में चुनाव है। जिसमें हाथरस, फिरोजाबाद, कासगंज, एटा, मैनपुरी, फर्रूखाबाद, कन्नौज, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर, जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर और महोबा की जिले की 59 सीटों पर 20 फरवरी को मतदान होने जा रहा है।
कई कद्दावर नेता हैं मैदान में
तीसरे चरण के चुनाव में केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल करहल सीट से तो कानपुर की महाराजपुर सीट पर कद्दावर नेता और प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना आठवीं जीत के लिए तैयार है। जबकि मैनपुरी की भोगांव सीट से कैबिनेट मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री भी चुनाव मैदान में है। इनके अलावा नीलिमा कटियार इसके साथ ही कभी पूर्व कैबिनेट मंत्री और मायावती के करीबी रहे रामवीर उपाध्याय को भाजपा ने सादाबाद से टिकट दिया है। वहीं फर्रूखाबाद सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद कांग्रेस से चुनाव लड़ रही हैं।
वेस्ट यूपी के 5 जिले भी हैं शामिल इस चरण में पश्चिमी यूपी के पांच जिले फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, कासगंज और हाथरस हैं जहां 19 विधानसभा सीटें हैं। कानपुर क्षेत्र के कानपुर, कानपुर देहात, औरैया, फर्रूखाबाद, कन्नौज, इटावा, 6 जिले हैं जहां 27 विधानसभा सीटें हैं। इसके अलावा बुंदेलखंड में झांसी, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा जिले में मतदान होना है जहां 13 विधानसभा सीटे हैं।
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चौथे चरण में अपराधिक छवि वाले और करोड़पति उम्मीदवारों की भरमार, पूजा शुक्ला सबसे कम उम्र की प्रत्याशी करहल व जसवंतनगर की सीट भी है शामिल इस चरण में सपा मुखिया अखिलेश यादव की करहल विधानसभा सीट है, जबकि शिवपाल सिह यादव की जसवंतनगर सीट भी शामिल है। 2017 के विधानसभा चुनाव में सैफई परिवार में हुए बिखराव के बीच सपा के गढ़ में भाजपा ने लगभग अस्सी फीसदी सीटें जीतने का काम किया था। इस बेल्ट की 59 में से 49 विधानसभा सीटों पर भाजपा ने अपना कब्जा जमाया था। जबकि 8 सीटें समाजवादी पार्टी, एक सीट कांग्रेस और एक सीट पर बहुजन समाज पार्टी को जीत मिली थी।
ब्राह्मणों व यादवों का रहेगा जोर 20 फरवरी को होने वाले तीसरे चरण के मतदान में अगर मुस्लिम को हटा दिया जाए इन 59 सीटों में ब्राह्मण और यादव मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। यह चरण समाजवादी पार्टी के गढ वाला क्षेत्र कहा जाता है। साल 2012 में 224 सीटों के साथ समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी, तो उस चुनाव में सत्ताधारी दल को 55 सीटें मिली थी।