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UP Assembly Elections 2022: गौतम बुद्ध नगर में भाजपा का चुनावी खेल बिगड़ा, तीन गुटों में बट रही पार्टी

UP Assembly Elections 2022: यूपी चुनाव 2022 की तैयारी में जुटी भाजपा ने गौतमबुद्ध नगर में अपनी ताकत दिखाने के लिए ताबड़तोड़ कई कार्यक्रम किए। लेकिन अब यहां भाजपा के तीन गुट हो गए हैं।

ग्रेटर नोएडाSep 28, 2021 / 12:57 pm

Arsh Verma

(UP Assembly Elections 2022), नोएडा। गौतमबुद्ध नगर बहुजन समाजवादी पार्टी का मजबूत किला हुआ करता था। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का गृह जनपद होने के कारण यहां बसपा सुप्रीमो मायावती का जनाधार तेजी से बढ़ा था। लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं की गुटबाजी ने बसपा का ये किला हिला डाला और फिर कभी मायावती के हाथ नही लगा।
अब भाजपा ने इस किले पर अपना कब्जा कर रखा है। लेकिन समस्या वही है, यहां भाजपा के तीन गुट बन गए हैं। बीते दिनों भाजपा ने गौतमबुद्ध नगर में अपनी ताकत दिखाने के लिए ताबड़तोड़ कई कार्यक्रम किए। जनता की भीड़ भी देखी गई, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दादरी में 22 सितंबर और इससे पहले उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के कार्यक्रम में जिस तरह से गुटबाजी देखने को मिली, उसने पार्टी को कहीं न कहीं कमजोर कर दिया।

दादरी विधायक को लगा झटका:

इसका पहला खामियाजा दादरी विधायक तेजपाल नागर को भुगतना पड़ा। वह प्रदेश सरकार में मंत्री बनते-बनते रह गए। पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आए थे गुर्जरों को साधने, लेकिन सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा से गुर्जर शब्द हटाए जाने से मामला भाजपा के लिए उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है। सरकार और भाजपा के लोग सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा अनावरण विवाद को शीघ्र नहीं सुलझा पाए तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। किसान आंदोलन की वजह से जाट पहले से नाराज हैं। अब गुर्जरों की नाराजगी गौतम बुद्ध नगर में भाजपा का चुनावी खेल बिगड़ सकती है।
इस विवाद से हो सकती है भाजपा को मुश्किल:

मिहिर भोज की प्रतिमा से गुर्जर शब्द हटाए जाने के विरोध में गुर्जरों ने 26 सितंबर दादरी में भाजपा और उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ गुर्जर स्वाभिमान रैली की। इसमें देशभर के गुर्जर बड़ी संख्या में एकत्र हुए। सभी का सीधा निशाना भाजपा और प्रदेश सरकार थी। आने वाले चुनावों में इसका प्रभाव भाजपा को झेलना पड़ सकता है।

राजपूत और गुर्जर में बात गया मामला:

दरअसल, सारा विवाद दादरी के मिहिर भोज पीजी कालेज में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा अनावरण से शुरू हुआ। गुर्जरों ने मिहिर भोज को अपना वंशज बताते हुए प्रतिमा लगवाने की घोषणा की, इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बुलाया गया। वहीं राजपूत समाज ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कहा कि सम्राट मिहिर भोज राजपूत थे। लोगों की नजरों में तो यहीं से विवाद शुरू हुआ, लेकिन शुरुआत दादरी विधायक तेजपाल नागर द्वारा गुर्जर विद्या सभा के साथ मिलकर मुख्यमंत्री का कार्यक्रम लेने के साथ शुरू हो गई थी।

क्या है तीन गुटों का मसला:

बताया जाता है कि दादरी विधायक, सांसद महेश शर्मा का नाम प्रतिमा के शिलालेख पर लिखवाना चाहते थे। सूत्रों की मानें तो राज्यसभा सदस्य व भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र नागर गुट ने महेश शर्मा का नाम पत्थर पर नहीं लिखवाने दिया। हालांकि, सुरेंद्र नागर गुट धीरेंद्र सिंह का नाम पत्थर पर लिखवाना चाहते थे। जब महेश शर्मा का नाम नहीं लिखा गया तो विधायक तेजपाल ने जेवर विधायक के नाम पर अड़ंगा लगा दिया।

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