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UP Assembly Elections 2022 : बागपत-गाजियाबाद में कृषि कानूनों की वापसी का असर

locationगाज़ियाबादPublished: Nov 26, 2021 10:21:56 am

Submitted by:

lokesh verma

UP Assembly Elections 2022 : बागपत से लेकर गाजियाबाद तक लोगों की बातों में जाति और धर्म का ध्रुवीकरण भी झलक रहा है। हालांकि, रालोद के गढ़ कहे जाने वाले बागपत की छपरौली विधानसभा सीट के जाट तीनों कृषि कानूनों की वापसी का स्वागत करते दिखे। कानून-व्यवस्था और बिजली व्यवस्था पहले से बेहतर होने पर लोग खुश दिखाई दिए, लेकिन महंगाई से परेशान भी नजर आए।

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नवनीत मिश्र

दिल्ली से सटा गाजियाबाद जहां विकास की दौड़ में काफी आगे निकल चुका है, वहीं बागपत जिले को एनसीआर में होने का कुछ खास लाभ नहीं मिल सका है। बागपत से लेकर गाजियाबाद तक लोगों की बातों में जाति और धर्म का ध्रुवीकरण भी झलकता रहा। हालांकि, रालोद के गढ़ कहे जाने वाले बागपत की छपरौली विधानसभा सीट के जाट तीनों कृषि कानूनों की वापसी का स्वागत करते दिखे। कानून-व्यवस्था और बिजली व्यवस्था पहले से बेहतर होने पर लोग खुश दिखाई दिए, लेकिन महंगाई से परेशान भी नजर आए।
बागपत नगर के राष्ट्र वंदना चौक पर मिले रामचंद्र कहते हैं कि दिल्ली से सिर्फ एक घंटे की दूरी पर बागपत है। एनसीआर में भी आता है और जिला मुख्यालय भी है, लेकिन सुविधाएं देहात जैसी हैं। मायावती सरकार में जिला बनने के बाद प्रशासनिक कार्यालय तो बन गए, लेकिन आज तक बस अड्डा नहीं बन सका है। चौधरी असलम कहते हैं कि बागपत में न मेडिकल कॉलेज है, न तकनीकी शिक्षा के लिए कोई पॉलिटेक्निक कॉलेज। एनसीआर का कोई लाभ बागपत को नहीं मिला है। संजय कुमार ने कहा कि बिजली व्यवस्था अब ठीक है। बागपत से गुजरने वाले स्टेट हाइवे को दिल्ली-यमुनोत्री नेशनल हाइवे में बदलने से बागपत में न केवल जाम की समस्या खत्म हुई, बल्कि दिल्ली-सहारनपुर कनेक्टिविटी बेहतर हुई।
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‘बागपत के गन्ना किसानों के साथ अन्याय’

बागपत नगर में मिले भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष प्रताप सिंह गूजर ने कहा कि बागपत सहकारी चीनी मिल का आज तक विस्तारीकरण न होने से क्षमता नहीं बढ़ सकी है। जिससे बागपत के गन्ना किसानों के साथ अन्याय हो रहा है। किसान चौधरी ओमवीर ने कहा कि पांच साल में गन्ने का रेट सिर्फ 25 रुपए बढ़ाया है। बागपत के प्रदीप गूजर ने कहा कि कानून-व्यवस्था बेहतर होने से नगर के दुकानदार खुश हैं। छपरौली विधानसभा क्षेत्र के जाट वोटर सुधीर मान ने बताया कि किसान आंदोलन के दौरान और कानूनों की वापसी के बाद क्षेत्र के किसानों का मिजाज बदला हुआ है। फिलहाल क्षेत्रीय मतदाताओं में जाति और धर्म का ध्रुवीकरण हावी हैं। बागपत जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर पड़ता है बड़ौत। बड़ौत में चाय विक्रेता सुनील ने बताया कि पहले बड़ौत में सड़क संकरी होने से जाम लगता था। केंद्र सरकार ने नेशनल हाइवे बना दिया, तो अब जाम की समस्या खत्म हुई है। डिवाइडर बनने से हादसे भी होने कम हुए। पॉकेटमारी और चैन छीनने जैसे छोटे-मोटे अपराध भी कम हुए हैं।
वायु प्रदूषण को लेकर हुए मुखर

बागपत से हम गाजियाबाद पहुंचे। गाजियाबाद जिला मुख्यालय पर मिले राजेंद्र कुमार ने प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सरकारी उदासीनता पर नाराजगी जताई। उन्होंने दो टूक कहा, ‘विकास का क्या लाभ, जब भयंकर प्रदूषण से जनता की जान ही संकट में हो।’ रेलवे स्टेशन के पास मिले सोमेंद्र कहते हैं कि स्टेशन से लेकर शहर के अंदर जगह-जगह सड़कें टूटी हुई हैं। प्रदूषण बढ़ रहा है। शासन-प्रशासन सड़कों की मरम्मत को लेकर लापरवाह है। गाजियाबाद की सुचित्रा कुमारी ने जिले में एक महिला डिग्री कॉलेज की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था जरूर पहले से बेहतर है। लेकिन, सुनसान स्थानों पर पुलिस की मौजूदगी सुनिश्चित होनी चाहिए। रुक्मिणी देवी ने बढ़ती महंगाई के कारण नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि एक तो लॉकडाउन से रोजी-रोजगार पर बुरा असर पड़ा, दूसरे महंगाई से बुरा हाल है। पैसा कब खत्म हो जाता है, पता ही नहीं चलता। गाजियाबाद के इंदिरापुरम निवासी राजू चौरसिया ने कहा कोई कुछ भी कहो, आखिर में वोट तो लोग जाति और धर्म के आधार पर ही डालेंगे। राजू ने कहा कि पहले की सरकार गाजियाबाद में हज हाउस बनाती थी। अब देखिए, इंदिरापुरम में योगी सरकार ने भव्य कैलाश मानसरोवर भवन बनाया है। जनता में इससे भी एक संदेश जाता है।
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सीटों का गणित

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 1,303,048 आबादी वाले बागपत जिले में तीन विधानसभा सीटें हैं। 2017 में बसपा को हराकर भाजपा के योगेश धामा ने बागपत सदर सीट जीती थी। जाट बहुल होने के कारण राष्ट्रीय लोकदल का गढ़ मानी जाने वाली छपरौली सीट पर भी भाजपा के सहेंद्र सिंह रमाला ने जीत का परचम लहराया था। जाट बहुल सीट बड़ौत पर भी भाजपा जीती थी। भाजपा के कृष्णपाल मलिक ने यह सीट बसपा से छीनी थी। 2011 की जनगणना के अनुसार 4,681,645 आबादी वाले गाजियाबाद जिले में कुल पांच- लोनी, मुरादनगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद शहर और मोदीनगर विधानसभा क्षेत्र हैं। 2017 के चुनाव में भाजपा ने सभी सीटों पर क्लीन स्वीप किया था। भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर बसपा से गाजियाबाद शहर सीट छीनने वाले अतुल गर्ग इस समय योगी सरकार में मंत्री हैं। साहिबाबाद सीट पर भाजपा प्रत्याशी सुनील शर्मा ने डेढ़ लाख से भी अधिक वोटों से यह सीट बसपा से छीनी थी। मोदीनगर सीट से भाजपा की महिला विधायक मंजू सिवाच हैं। उन्होंने 2017 के चुनाव में बसपा के कद्दावर नेता वहाब चौधरी को हराया था।
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