रायबरेली विधानसभा सीट पर 1967 से कांग्रेस का कब्जा रहा है। कांग्रेस ने अब तक यहां से 10 बार जीत हासिल की है। 1967 में पहली बार कांग्रेस के मदन मोहन मिश्रा विधायक बने थे। 1969 में भी जनता ने उन्हें चुना। रायबरेली से सबसे अधिक बार अखिलेश सिंह ने यहां से जीत दर्ज की। 1993 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक चुने गये अखिलेश सिंह ने जीत की हैट्रिक लगाई। 2007 में निर्दल विधायक बने। 2012 में पीस पार्टी से विधायक बने। 2017 में उन्होंने अपनी बेटी अदिति सिंह को रायबरेली से चुनाव जितवाया।
2017 में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था। रायबरेली से कांग्रेस प्रत्याशी अदिति सिंह ने दूसरे नंबर पर रहे बसपा के शाहबाज खान को 89163 वोटों से हरा दिया था। भाजपा प्रत्याशी अनीता श्रीवास्तव 28821 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रही थीं। इससे पहले 2012 में भी यह सीट अदिति के पिता अखिलेश सिंह के पास थी जो पीस पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े थे। उस चुनाव में दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी रही थी।
रायबरेली सदर से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह भी अब अपने पिता के नक्शेकदम पर चल रही हैं। उन्होंने कांग्रेस पार्टी से किनारा कर लिया है। 2022 का विधानसभा चुनाव वह निर्दलीय लड़ सकती हैं। चर्चा बीजेपी में भी शामिल होने की है। फिलहाल, उनका फैसला रायबरेली की सियासत के लिए काफी अहम होगा।