पश्चिमी यूपी किसानों की नाराजगी पड़ी भारी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 136 सीटों की बात करें तो इस बार भाजपा 93 सीट निकालने में कामयाब हुई है। जबकि 2017 के चुनाव में भाजपा ने 110 सीटों पर परचम लहराया था। इस तरह वेस्ट यूपी में 17 सीट का नुकसान हुआ है। जबकि सपा ने 2017 में 20 सीटें जीती थीं तो इस बार 43 सीट पर कब्जा जमाया है। जबकि बसपा और कांग्रेस खाता भी नहीं खोल सके हैं। कृषि कानूनों के विरोध के चलते भाजपा को नुकसान तो सपा-रालोद गठबंधन को फायदा मिला है।
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UP Elections Result 2022: जनता ने जातिवाद, परिवारवाद, वंशवाद की राजनीति को दी तिलांजलि: मुख्यमंत्री पूर्वांचल में सर्वाधिक 38 सीट घटी पूर्वांचल में भी भाजपा को 38 सीटों का नुकसान हुआ है। यहां की 130 सीट में से भाजपा ने 2017 में 115 पर जीत हासिल की थी, लेकिन 2022 के चुनाव में भाजपा महज 77 सीट ही जीत सकी है। जबकि सपा को यहां भी 21 सीटाें का फायदा हुआ है। 2017 में सपा महज 17 सीट जीत सकी थी। जबकि इस बार 48 सीट जीतने में कामयाब हुई है। माना जा रहा है कि कोविड काल में यहां के लोगों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसका नुकसान भाजपा को हुआ है।
बुंदेलखंड में 3 सीट का नुकसान अब बात करते हैं बुंदेलखंड की, जहां 19 सीटें आती हैं। 2017 में भाजपा ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर बुंदेलखंड में क्लीन स्वीप किया था, लेकिन इस यहां भी भाजपा 3 सीट के नुकसान के साथ 16 पर ही काबिज हो सकी है। जबकि सपा ने यहां तीन सीट हासिल की है। यहां भाजपा के वोट कम आने का कारण पिछड़े और पानी की किल्लत को माना जा रहा है।
वहीं, अवध की 118 सीट में से भाजपा ने इस बार 88 सीट पर जीत दर्ज की है। जबकि 2017 में भाजपा को इस क्षेत्र से 71 सीट ही मिल सकी थी। हालांकि सपा ने 2017 में 9 सीट के मुकाबले 30 सीटों पर जीत दर्ज की है। इस क्षेत्र में भाजपा का वोट बैंक बढ़ने का सबसे बड़ा कारण 2008 के अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट रहा। भाजपा नेे अदालत के फैसले का जमकर प्रचार करते हुए सपा पर आतंकवादियों को बचाने केे आरोप लगाए।