75 साल बाद भी आज पुल नहीं सीमाई इलाके के यूपी के कई गांवों की हालत खस्ता है। महाराजगंज के कई गांवों की सीमा नेपाल से मिलती है। इलाके में नदियों का भंवर जाल है। बारिश के महीने में रहने और खाने दोनों का संकट रहता है। आजादी के 75 साल बाद भी यहां पुल नहीं हैं। तमाम लोग नेपाल, बिहार होते हुए यूपी पहुंचते हैं। नौतनवां के शोभित त्रिपाठी कहते हैं लगता है हम बरमूडा ट्राइएंगल में फंसे हैं। कोई ध्यान नहीं देता।
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19 गांव बन जाते हैं टापू बिहार से सटे करीब डेढ़ लाख की आबादी वाले कई गांवों के लोग खुद को नेपाल में तो कभी बिहार में शामिल करने की मांग करते हैं। कुशीनगर के डीएम आंद्रा वामसी और महाराजगंज के डीएम सतेंद्र कुमार ने भी स्वास्थ्य, शिक्षा के साथ गांव तक पहुंचने में होने वाली दिक्कतों के कारण कई गांवों को बिहार में शामिल करने की मांग की है। कुशीनगर के 19 गांव ऐसे हैं। जहां पहुंचने के लिए पहले नेपाल जाइए, फिर बिहार होते हुए उत्तर प्रदेश आइए। यहीं के राम बिहारी कहते हैं कि सियासत हमारी जिंदगी पर भारी पड़ रही है। आज भी हम रास्ते के लिए नेपाल पर आश्रित हैं। बंद है जनकपुर बस सेवा बात सिर्फ सड़क और पुल की ही नहीं। आने-जाने की भी दुश्वारियां कम नहीं। अयोध्या धाम से जनकपुर को जोडऩे वाली बस सेवा बंद है। राम की जन्मस्थली अयोध्सया से ससुराल जनकपुर तक जाने वाली बस कोरोना काल में बंद हुई तो अब तक बंद ही है। इससे भारत नेपाल संबंधों में आई गर्मी तो कम हुई ही है लोगों की मुश्किलें भी बढ़ी हैं।
नदियों के भंवर में कुशीनगर महाराजगंज और कुशीनगर नदियों के भंवर में हंै। यहां नदियांं मौत बनकर आती हैं। बरसात में पूरा इलाका टापू बन जाता है। राप्ती, लोहित, गंडक, व्यास, नारायणी सहित तमाम छोटी नदियां बाढ़ में जनजीवन को बर्बाद कर देती हैं। 2500 वर्ग किलोमीटर में जलमग्न होने से फसल बर्बाद हो जाती है। लेकिन पार्टियों के लिए यह मुद्दा नहीं है।
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