चुनाव

UP Assembly Elections 2022: हजारों की जिंदगी पर भारी नेपाल, बिहार और यूपी की सीमाई सियासत

महाराजगंज के कई गांवों की सीमा नेपाल से मिलती है। इलाके में नदियों का भंवर जाल है। बारिश के महीने में रहने और खाने दोनों का संकट रहता है। आजादी के 75 साल बाद भी यहां पुल नहीं हैं। तमाम लोग नेपाल, बिहार होते हुए यूपी पहुंचते हैं। सीमाई इलाके के यूपी के कई गांवों की हालत खस्ता है।

महाराजगंजMar 03, 2022 / 09:11 am

Vivek Srivastava

UP Assembly Elections 2022: हजारों की जिंदगी पर भारी नेपाल, बिहार और यूपी की सीमाई सियासत

UP Assembly Elections 2022: सोनौली… भारत-नेपाल की सीमा पर बसा कस्बा। यहां खड़े होकर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तपिश का अंदाजा लगाया जा सकता है। छठे चरण की कई विधानसभा सीटें भारत-नेपाल की सीमा से लगी हुई हैं। हर सीमावर्ती सीट पर भारत और नेपाल दोनों ही तरफ यूपी के चुनाव की चर्चा है। भले ही यूपी में कोई भी जीते या हारे इससे नेपालियों को कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन चुनाव में उनकी दिलचस्पी बहुत है। इसके उलट यूपी के वे गांव जहां गुरुवार को छठे चरण का मतदान है, उनमें चुनाव को लेकर कोई रोमांच नहीं दिखता। वे बुझे मन से कहते हैं कोई भी जीते हम तो ऐसे मकडज़ाल में फंसे हैं कि 75 साल बाद भी वहीं हैं जहां पहले थे। इन दुश्वारियों को दरकिनार कर यहां की जनता गुरुवार को 57 सीटों पर मतदान को तैयार हैं। छठा चरण बेहद खास है। इस चरण में ऐसे उम्मीदवार हैं जो राजनीति के हिसाब से बेहद महत्वपूर्ण हैं। सीएम योगी, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू और स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 57 सीटों के लिए होने वाले मतदान में बीजेपी, सपा, कांग्रेस और बसपा के कई बड़े चेहरों की परीक्षा होनी है।
75 साल बाद भी आज पुल नहीं

सीमाई इलाके के यूपी के कई गांवों की हालत खस्ता है। महाराजगंज के कई गांवों की सीमा नेपाल से मिलती है। इलाके में नदियों का भंवर जाल है। बारिश के महीने में रहने और खाने दोनों का संकट रहता है। आजादी के 75 साल बाद भी यहां पुल नहीं हैं। तमाम लोग नेपाल, बिहार होते हुए यूपी पहुंचते हैं। नौतनवां के शोभित त्रिपाठी कहते हैं लगता है हम बरमूडा ट्राइएंगल में फंसे हैं। कोई ध्यान नहीं देता।
यह भी पढ़ें

UP Assembly Elections 2022: पूर्वांचल में विकास का मुद्दा गायब, गरीबी पर भी कोई बात नहीं

19 गांव बन जाते हैं टापू

बिहार से सटे करीब डेढ़ लाख की आबादी वाले कई गांवों के लोग खुद को नेपाल में तो कभी बिहार में शामिल करने की मांग करते हैं। कुशीनगर के डीएम आंद्रा वामसी और महाराजगंज के डीएम सतेंद्र कुमार ने भी स्वास्थ्य, शिक्षा के साथ गांव तक पहुंचने में होने वाली दिक्कतों के कारण कई गांवों को बिहार में शामिल करने की मांग की है। कुशीनगर के 19 गांव ऐसे हैं। जहां पहुंचने के लिए पहले नेपाल जाइए, फिर बिहार होते हुए उत्तर प्रदेश आइए। यहीं के राम बिहारी कहते हैं कि सियासत हमारी जिंदगी पर भारी पड़ रही है। आज भी हम रास्ते के लिए नेपाल पर आश्रित हैं।
बंद है जनकपुर बस सेवा

बात सिर्फ सड़क और पुल की ही नहीं। आने-जाने की भी दुश्वारियां कम नहीं। अयोध्या धाम से जनकपुर को जोडऩे वाली बस सेवा बंद है। राम की जन्मस्थली अयोध्सया से ससुराल जनकपुर तक जाने वाली बस कोरोना काल में बंद हुई तो अब तक बंद ही है। इससे भारत नेपाल संबंधों में आई गर्मी तो कम हुई ही है लोगों की मुश्किलें भी बढ़ी हैं।
नदियों के भंवर में कुशीनगर

महाराजगंज और कुशीनगर नदियों के भंवर में हंै। यहां नदियांं मौत बनकर आती हैं। बरसात में पूरा इलाका टापू बन जाता है। राप्ती, लोहित, गंडक, व्यास, नारायणी सहित तमाम छोटी नदियां बाढ़ में जनजीवन को बर्बाद कर देती हैं। 2500 वर्ग किलोमीटर में जलमग्न होने से फसल बर्बाद हो जाती है। लेकिन पार्टियों के लिए यह मुद्दा नहीं है।
यह भी पढ़ें

छठे चरण का मतदान शुरू, सीएम योगी आदित्यनाथ समेत 676 प्रत्याशियों की किस्मत दांव पर

2017 में यह स्थिति

छठा चरण की जिन 57 सीटों के लिए चुनाव होने जा रहा है 2017 में उनमें 90 फीसदी सीटों पर भाजपा और उनके सहयोगियों का कब्जा था। भाजपा 46,बसपा 5, सपा दो, कांग्रेस एक, अपना दल और सुभासपा को एक-एक सीट मिली थी। एक सीट निर्दल के खाते में गयी थी।

Home / Elections / UP Assembly Elections 2022: हजारों की जिंदगी पर भारी नेपाल, बिहार और यूपी की सीमाई सियासत

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.