पश्चिमी यूपी में नुकसान की आशंका बीजेपी के पूर्वांचल पर फोकस करने की एक वजह और है दरअसल दिल्ली के किसान आन्दोलन के चलते पश्चिमी यूपी में बीजेपी को नुकसान हो सकता है इसका अंदाजा पार्टी को है। यही वजह है कि अपना सारा ध्यान पूर्वांचल पर केन्द्रित कर रही है।
ये भी पढ़ें… ‘अमेठी ने मुझे राजनीति में बहुत कुछ सिखाया, यहां से मेरा पारिवारिक रिश्ता’: राहुल गांधी निषाद पार्टी से गठबंधन भी पूर्वांचल साधने का ज़रिया ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा से रिश्ते खत्म होने के बाद बीजेपी पूर्वांचल में इसकी भरपाई निषाद समुदाय से करना चाहती है। आपको बता दें कि निषाद समुदाय में केवट, बिंद, मल्लाह, कश्यप, नोनिया, मांझी, गोंड समेत 22 उप जातियां आती हैं। पूर्वांचल की करीब 60 सीटों को निषाद वोट बेहद प्रभावित करता है। इतना ही नहीं कई सीटों में इनकी आबादी इतनी है कि ये हार-जीत तक तय करते हैं। बीजेपी को निषाद वोट बैंक की ताकत का अंदाजा 2018 के लोकसभा उपचुनाव में देख चुकी है जब प्रवीण निषाद ने यहां जीत दर्ज कर 25 साल से अपराजेय बीजेपी से ये सीट छीन ली थी।