2017 के विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड की सभी 19 सीटें भाजपा की झोली में गईं थीं। लेकिन क्या भाजपा अपने गढ़ को बचा पाएगी, इस सवाल पर यशपाल सियासी अंदाज में आते हुए कहते हैं अभी तो जितने मुंह उतनी बातें। लेकिन लहर किसी की भी नहीं है। फिर खेती के मुद्दे पर आते हुए बताते हैं कि उनके लिए भर ही नहीं बल्कि इस पूरे इलाके के लोगों के लिए खेती लाभ का धंधा नहीं है। हम इसलिए कर रहे हैं कि कुछ और करने की सामर्थ्य नहीं है। उनकी अगली पीढ़ी शायद ही इस पेशे को अपनाए। आवारा जानवरों से होने वाली बर्बादी को देखकर तो कभी लगता है कि सब बेचकर चले जाएं पर सोचते हैं कि जाएंगे कहां। यही तो हमारे पुरखों का गांव है। दरअसल, बुंदेलखंड की पहचान ही गरीबी और सूखे के रूप में है। पहले की अपेक्षा हालात कुछ बदले जरूर हैं पर पूरी तरह नहीं। रोजगार, महंगाई, पानी जैसी समस्या से जनता जूझ रही है। रोजगार के लिए होते पलायन ने गांवों को खाली कर दिया है। हालांकि डिफेंस कॉरिडोर लाकर रोजगार के द्वार खोलने के दावे हो रहे हैं।
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UP Election 2022 : कमाल का है ये जिला, आज तक सिर्फ एक महिला बनी विधायक दांव पर भाजपा का दुर्ग, साइकिल-हाथी की चाल तेज इस बार महारानी लक्ष्मीबाई के बुंदेलखंड में भाजपा का दुर्ग दांव पर है। दल बदल के कारण यहां के सियासी हालात बदले हैं। 2017 में सभी 19 सीट जीतने वाली भाजपा की किलेबंदी करने को बसपा और सपा दोनों दम लगाए हैं। ज्यादातर सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा। ललितपुर जिले में भाजपा, बसपा और सपा तीनों के बीच लड़ाई है। यही हाल महोबा और हमीरपुर का है। जालौन और झांसी में भाजपा और सपा के बीच मुकाबला है। कांग्रेस भी जोर मार रही है, लेकिन ऊँट किस करवट बैठता है यह वक्त बतायेगा।
पुराने चुनावों का हाल बुंदेलखंड की सीटों पर हमेशा भाजपा और बसपा का ही दबदबा रहा। कांग्रेस और सपा को यहां के मतदाताओं ने इन पार्टियों की अपेशा ज्यादा तवज्जों नहीं दी। 2007 के चुनाव में बसपा सर्वाधिक 09 सीट जीती, जबकि सपा और कांग्रेस 02-02 सीटें जीतीं। इस चुनाव में भाजपा का यहां से सूपड़ा साफ रहा। 2012 के चुनाव में भी यहां मोदी लहर का असर नहीं दिखा, पार्टी की सीटें जरूर बढ़ीं। बसपा को 5, भाजपा को 03 और सपा को 03 सीटें मिलीं। जबकि कांग्रेस 02 पर ही अटकी रही। लेकिन 2017 में भाजपा ने एक तरफा सभी को साफ कर दिया।
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UP Assembly Elections 2022 : तीसरे चरण में यादव व ब्राह्मण मतदाताओं का रहेगा बोलबाला, भाजपा-सपा के सामने है पिछले प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती बुंदेलखंड और अनुप्रिया पड़ सकते हैं भारी इस चुनाव में भाजपा के लिए बुंदेलखंड राज्य का गठन और अनुप्रिया की पार्टी से गठबंधन भाजपा को भारी पड़ सकते हैं। नए बुंदेलखंड राज्य की मांग का बीड़ा उठाने वाले भानु शाह बताते हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं ने तीन साल में नए राज्य के गठन की बात कही थी, जो अब तक अधूरी है। इसका मोल तो चुकाना पड़ेगा। उधर, इस बार भाजपा ने झांसी की माऊरानी पुर जैसी सीट अपना दल एस को सौंप दिया है। यहां से हाल ही में सपा छोड़कर आईं डॉ रश्मि आर्य मैदान पर हैं। जबकि भाजपा विधायक रहे बिहारीलाल आर्य का टिकट काट दिया गया। सिटिंग एमएलए का टिकट काटे जाने से विरोध का स्वर उठ रहा है।
By- Pushpendra Pandey