2017 में अदिति सिंह कांग्रेस से बनीं विधायक कांग्रेस से भाजपाई हुई अदिति सिंह ने 2017 का विधानसभा चुनाव रायबरेली सदर सीट कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में अदिति सिंह ने बसपा के शाहबाज खान को 89 हजार से अधिक मतों से अंतर से हराया था। अदिति को 1.28 लाख से अधिक मत मिले थे। रायबरेली सदर सीट में कुल 3,46,370 से अधिक हैं। इसमें 32 प्रतिशत के करीब दलित, 30 प्रतिशत पिछडों के साथ ही 12 प्रतिशत मुस्लिम व 26 प्रतिशत सामान्य हैं, लेकिन दलित व पिछडों की अधिकता होने के बावजूद भी पूर्व विधायक और अदिति सिंह के पिता अखिलेश कुमार सिंह को न तो सपा और न ही बसपा कभी टक्कर दे पाई।
1989 से अदिति के परिवार का रहा है दबदबा रायबरेली की सीट अदिति सिंह के परिवार के पास 1989 से रही है। इनके ताऊ अशोक कुमार सिंह 1989 और 1991 में जनता दल से विधायक थे। फिर इनके पिता अखिलेश कुमार सिंह साल 1993 से 2012 तक लगातार पांच बार विधायक रहे। 1993 से 2002 तक वे कांग्रेस से जीतते रहे। लेकिन 2007 में निर्दलीय और 2012 में पीस पार्टी से वे जीते।
चौथे-पांचवें नंबर पर रही है भाजपा लेकिन अदिति सिंह अपने पिता की लाइन से अलग हटकर अब भाजपा में शामिल हो गई हैं। इस सीट से भारतीय जनता पार्टी हमेशा चौथे या पांचवें नंबर पर रही हैं। लेकिन इस बार अदिति सिंह के शामिल होने के बाद माना जा रहा है भाजपा के लिए सपना रहीं रायबरेली की सदर सीट पर इस बार भगवा फहर सकता है।
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निर्भया केस की वकील सीमा समृद्धि कुशवाहा बसपा में हुईं शामिल, मायावती को सीएम बनाने का लिया संकल्प भाजपा के लिए सपना रही है हरदोई की सदर सीट हरदोई सदर विधानसभा सीट प्रदेश की उन चंद सीटों में से है जहां चुनाव में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस और निर्दलीय तक को जीत मिली। लेकिन जनसंघ या भारतीय जनता पार्टी सफलता से बेहद दूर रही। यहां की राजनीतिक क्षेत्र में नरेश अग्रवाल और सत्ता के लिए दल बदलने का जो इतिहास है वह ही यहां की पहचान है। भाजपा को इस सीट से अब तक जीत हासिल नहीं हो सकी।
नितिन अग्रवाल हो सकते हैं बीजेपी के उम्मीदवार इसके अतिरिक्त कहार और तेली मतदाता भी इस सीट पर काफी संख्या में है। इस सीट से नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल को भाजपा उम्मीदवार के रूप देखा जा रहा है।
पौने दो साल विधायक विहीन रही स्वार-टांडा सीट स्वार-टांडा विधानसभा सीट रामपुर जिले की अहम सीट है। यहां से सपा सांसद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान विधायक रहे हैं। हालांकि उम्र को लेकर विवाद के चलते हाईकोर्ट ने उनका निर्वाचन निरस्त कर दिया। इसके बाद विधानसभा सचिवालय ने भी सीट रिक्त घोषित कर दी। पौने दो साल से इस सीट पर न तो कोई विधायक है और न ही उपचुनाव हुआ।
आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम ने जीता था चुनाव 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की ओर से अब्दुल्ला आजम खान को उम्मीदवार बनाया गया था। बीजेपी ने लक्ष्मी सैनी और बीएसपी ने नवाब काजिम अली खान उर्फ नवेद मियां को मैदान पर उतारा था। स्वार-टांडा सीट से पहली बार अब्दुल्ला आजम खां ने जीत दर्ज की थी। इसके साथ ही वह सबसे कम उम्र के विधायक बने थे।
अपना दल से लड़ सकते हैं हैदर अली खां चुनाव नतीजों के बाद बीएसपी प्रत्याशी नवाब काजिम अली खान ने अब्दुल्ला आजम खान की कम उम्र को लेकर सवाल उठाए। मामला हाईकोर्ट में पहुंचा। तमाम सबूतों को देखते हुए हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2019 को स्वार-टांडा विधानसभा सीट का निर्वाचन रद्द करने का आदेश दे दिया था। इस बार सपा ने फिर अब्दुल्ला आजम को प्रत्याशी बनाया है। वहीं इस सीट से कांग्रेस छोड़कर अपना दल में शामिल हुए हैदर अली खां भाजपा गठबंधन से प्रत्याशी हो सकते हैं। जिसके चलते माना जा रहा है कि इस बार इस सीट पर मुकाबला रोचक हो सकता है।