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UP Assembly Elections 2022 : मार्च 2022 में खत्म हो रहा है यूपी विधानसभा का कार्यकाल, चुनाव न होने पर लग सकता है राष्ट्रपति शासन

locationलखनऊPublished: Dec 25, 2021 05:18:41 pm

Submitted by:

Amit Tiwari

UP Assembly Elections 2022 : उत्तर प्रदेश में फरवरी से मार्च तक चुनाव होने की संभावना है। इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओमिक्रॉन के बढ़ते केस के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चुनाव टालने और रैलियों पर पाबंदी लगाने का आग्रह किया है। कोर्ट की इस सलाह के बाद यह यह अटकलें तेज हो गयी है क्या अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव फिलहाल टाल दिए जाएंगे।

UP Vidhansabha

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लखनऊ. UP Assembly Elections 2022 : उत्तर प्रदेश समेत देश के 5 राज्यों में अगले साल होने वाले विधानसभा के चुनाव यदि कोविड के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के चलते चुनाव टाले जाते हैं, तो प्रदेश में अगले 6 महीनों के लिए राष्ट्रपति शासन लग सकता है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि यूपी विधानसभा का कार्यकाल मई 2022 को खत्म हो रहा है और उससे पहले चुनाव कराना जरुरी है। हालांकि उत्तर प्रदेश की 17वीं विधानसभा का कार्यकाल 15 मई तक है। जबकि 17वीं विधानसभा का गठन 14 मार्च 2017 को हुआ था। वहीं अगर आयोग चुनाव को टालता है तो यूपी समेत पांचों राज्यों में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा। संविधान में एक बार में 6 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रावधान है। इस अवधि में यदि हालात सामान्य नहीं हुए तो इसे और बढ़ाया जा सकता है। अगले साल देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट जता चुका है चिंता

बता दें कि कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से राजनीतिक रैलियों पर रोक लगाने और प्रधानमंत्री से विधानसभा चुनाव टालने को कहा है। वहीं हाईकोर्ट के द्वारा चिंता जताने के बाद योगी सरकार ने 25 दिसंबर की रात 11 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक यूपी में नाइट कर्फ्यू भी लगा दिया गया है। देश में ओमिक्रॉन के मामले 350 के पार पहुंच चुके हैं। साल 2022 के शुरुआत में ही कोरोना की तीसरी लहर के आने की आशंका भी जताई है। ऐसे में यूपी और पंजाब सहित पांच राज्यों में होने वाले आगामी चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों में सरगर्मियां तेज हो चुकी है।
मार्च 2022 को खत्म हो रहा है विधानसभाओं का कार्यकाल

गौरतलब है कि अगले 2022 में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश समेत पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा का कार्यकाल मार्च 2022 में समाप्त हो रहा है। यदि कोविड के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के चलते चुनाव टलता है, तो विधानसभा का कार्यकाल नहीं बढ़ेगा। इन पांचों राज्यों में कार्यकाल पूरा होते ही केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाकर चुनाव करवा सकती है। यदि इस दौरान भी हालात सामान्य न हुए तो राष्ट्रपति शासन को और समय तक बढ़ाया जा सकता है। इस मुद्दे पर कई भाजपा के वरिष्ठ नेता भी चुनाव टलने की आशंका जता रहे हैं। हालांकि इससे पहले भी कई बार बिहार और जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों में स्थितियां प्रतिकूल न होने पर चुनाव टाले जा चुके हैं।
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चुनाव कराने के लिए स्वतंत्र है आयोग

संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग अपने हिसाब से चुनाव कराने को स्वतंत्र है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 52, 57 और 153 में चुनावों को रद्द करने या टालने का प्रावधान है। भारतीय संविधान में दी गई शक्तियों के आधार पर आयोग कभी भी असामान्य स्थिति होने पर चुनावों को टाल सकता है और रद्द भी सकता है। पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान चुनाव आयोग ने कई राज्यों के पंचायत चुनाव और कई विधानसभा और लोकसभा सीटों के उपचुनावों को टाल दिया था।
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नहीं बढ़ेगा यूपी विधानसभा का कार्यकाल

देश मे आपातकाल लागू होने पर संविधान में ये प्रावधान है कि किसी भी राज्य की विधानसभा का कार्यकाल एक साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। लेकिन यहां ऐसा अभी नहीं हो सकता है, क्योंकि अभी देश में कोई इमरजेंसी की स्थिति नहीं है।
पहले भी टाले जा चुके हैं चुनाव

साल 1991 में पहले फेज की वोटिंग के बाद राजीव गांधी की हत्या हो गई थी। इसके बाद अगले दो फेज के चुनाव में आयोग ने करीब एक महीने तक चुनाव टाल दिए थे। इसी साल पटना लोकसभा में बूथ कैप्चरिंग होने पर आयोग ने चुनाव रद्द कर दिया था। वहीं 1995 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान बूथ कैप्चरिंग के मामले सामने आने के बाद 4 बार तारीखें आगे बढ़ाई गई थीं। 2017 में महबूबा मुफ्ती ने अनंतनाग लोकसभा सीट छोड़ दी थी। वहां उपचुनाव में सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए आयोग ने हालात खराब बताते हुए चुनाव रद्द कर दिया था। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु की वेल्लोर सीट से डीएमके उम्मीदवार के घर से 11 करोड़ कैश बरामद हुआ था, जिसके बाद वहां चुनाव को रद्द कर दिया गया था। आयोग ने बाद में नई डेट घोषित कर चुनाव कराया था।

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