दरअसल, आगरा के खेरागढ़ के नगला दूल्हे के रहने वाले 75 वर्षीय हसनूराम पर 100 चुनाव हारने का रिकॉर्ड बनाने का जुनून सवार है। आगरा कलेक्ट्रेट परिसर में पर्चा खरीदने पहुंचे हसनूराम अंबेडकरी ने बताया कि बात 1984 की है, जब वह सरकारी अमीन के पद पर कार्यरत थे। उस दौरान उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा जताते हुए एक पार्टी से टिकट की डिमांड की थी। लेकिन, पार्टी के पदाधिकारियों ने टिकट न देकर उनका मजाक बनाया। उनसे कहा गया कि तुम्हे तो तुम्हारे परिवार के लोग भी वोट नहीं देंगे। हसनूराम ने बताया कि तभी उन्होंने कुछ अलग करने का ठान लिया और निर्दलीय ही चुनाव मैदान में कूछ पड़े। उसके बाद से वह लगातार विभिन्न पदों पर चुनाव लड़ रहे हैं और अब तक 93 चुनाव लड़ चुके हैं। यह उनका 94वां चुनाव है।
हसनूराम अंबेडकरी ने बताया कि 1985 में ही पहली हार के बाद उन्होंने ठान लिया था कि वह 100 चुनाव हारने का रिकॉर्ड कायम करेंगे। वह कहते हैं कि अब तक उन्होंने किसी भी चुनाव में एक रूपया तक खर्च नहीं किया है और आगे भी कुछ खर्च नहीं करेंगे। हसनूराम ने बताया कि एक बार उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए भी नामांकन पत्र भरा था, लेकिन उनका पर्चा निरस्त कर दिया गया।
यह भी पढ़ें-
भाजपा उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी, गोरखपुर से योगी व सिराथू से मौर्या लड़ेंगे चुनाव, देखिए यूपी में किसका टिकट कटा आगरा कलेक्ट्रेट को छावनी में तब्दील बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन का दौर शुरू हो चुका है। इसके लिए आगरा कलेक्ट्रेट को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। जहां विभिन्न दलों के प्रत्याशी नामांकन पत्र खरीदने के लिए पहुंच रहे हैंं। हालांकि इस बार कोरोना महामारी की तीसरी लहर को देखते हुए ऑनलाइन पर्चा भरने की भी सुविधा चुनाव आयोग की तरफ से दी गई है।