भवानीपुर पर नजर, भाजपा के तंज-
इस साल की शुरुआत में शुभेंदु अधिकारी के भाजपा में शामिल होने व नंदीग्राम से चुनाव लडऩे के ऐलान के बाद भवानीपुर की राजनीति में बदलाव आया था। नंदीग्राम में अधिकारी परिवार की पकड़ को देखते हुए सीएम ममता ने यहां शुभेंदु से मुकाबला करने का ऐलान किया। इसके बाद से भाजपा के चुनाव अभियानों में तंज कसा जा रहा है कि भवानीपुर में हार के डर से सीएम ने नंदीग्राम को चुना है। इसके पीछे उनका आंकड़ों का तर्क भी है। भवानीपुर में 2011 के चुनाव में ममता ने रेकॉर्ड 76त्न मत लिए थे। जबकि 2016 आते-आते दीदी के घर में उनका वोट प्रतिशत कम होकर करीब 48त्न पर सिमट गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल की बढ़त मात्र 3000 वोट रही थी। भवानीपुर में तृणमूल से मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय प्रत्याशी हैं। भाजपा ने तृणमूल छोड़कर आए अभिनेता रुद्रनील घोष को उतारा है
राष्ट्रीय मुद्दों का असर-
भवानीपुर में गैर बंगाली मूल के लोगों की बड़ी आबादी से भाजपा को उम्मीद है। इनमें गुजराती और सिख प्रमुख हैं। क्षेत्र के एल्गिन रोड पर गुरुद्वारा के निकट बड़ी संख्या में पंजाबी ढाबे हैं। कोलकाता में रातभर थडिय़ों पर चाय की चुस्की पर राजनीतिक चर्चा यहीं होती है। विधू विनय गोस्वामी ने बताया, दीदी को बंगाल बचाने के साथ ही भवानीपुर भी जीतना होगा। सुखविंदर सिंह ने कहा, कई राष्ट्रीय मुद्दों पर भी यहां वोटिंग होगी। किसान आंदोलन से भी यहां कुछ लोग प्रभावित हुए हैं। सिख वोटों से तृणमूल खेमे की उम्मीद बढ़ी है। जबकि यह भाजपा के लिए चिंता की बात हो सकती है।
बालीगंज में त्रिकोणीय मुकाबला-
रासबिहारी में भाजपा प्रत्याशी सुब्रत साहा की टक्कर तृणमूल के पूर्व मेयर देवाशीष से है। कोलकाता पोर्ट से फिरहाद हकीम तृणमूल, अवध किशोर गुप्ता भाजपा व कांग्रेस के मोहम्मद मुख्तार संयुक्त मोर्चा के प्रत्याशी हैं। वोट बंटने की स्थिति में भाजपा को लाभ मिल सकता है। बालीगंज से तृणमूल के सुब्रत मुखर्जी, भाजपा के लोकनाथ चटर्जी और संयुक्त मोर्चा के फुवाद हलीम मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं।