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West Bengal Assembly Elections 2021: जहां सबसे पहले क्रांति का बिगुल बजा, वहां अब राजनीतिक हिंसा बड़ा मुद्दा

West Bengal Assembly Elections 2021: सत्ता का संग्राम: उत्तर 24 परगना की सबसे महत्त्वपूर्ण सीट।क्रांतिकारी मंगल पांडे से है बैरकपुर की पहचान।

Apr 21, 2021 / 10:35 am

विकास गुप्ता

West Bengal Assembly Elections 2021: जहां सबसे पहले क्रांति का बिगुल बजा, वहां अब राजनीतिक हिंसा बड़ा मुद्दा

बैरकपुर पश्चिम बंगाल से हीरेन जोशी

West Bengal Assembly Elections 2021 /strong>: भारत में अंग्रेजों के कंपनी राज की चूलें हिला देने वाले 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल बैरकपुर से बजा था। इसी बैरकपुर की छावनी में मार्च 1857 को मंगल पांडे ने चर्बी लगे कारतूस का इस्तेमाल करने से इनकार कर अंगे्रजों पर गोली चलाई थी। इसके बाद ही पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया था। मंगल पांडे से बैरकपुर की पहचान है। लेकिन आज यहां हालात बदल गए हैं। अंतर इतना है कि तब कंपनी की संगीनों का साया था तो अब राजनीतिक हिंसा की बात है। इस विधानसभा चुनाव में राजनीतिक हिंसा के कारण बैरकपुर पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक चर्चा वाला क्षेत्र बन गया है। चुनाव आयोग ने भी इसे रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र घोषित कर रखा है। गुरुवार को उत्तर 24 परगना जिले में बैरकपुर सहित 17 सीटों पर चुनाव हैं। संवेदनशील क्षेत्र में भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।

चेहरा वही, बस किरदार बदल गए-
बैरकपुर विधानसभा सीट सहित पूरे लोकसभा क्षेत्र को शिल्पांचल के नाम से भी जाना जाता है। शिल्पांचल में राजनीतिक हिंसा सबसे बड़ा मुद्दा रहता है। पहले यहां माकपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच हिंसा चर्चा में रहती थी। अब भाजपा और तृणमूल के बीच हिंसा के आरोप-प्रत्यारोप लगते हैं। यहां राजनीति का चेहरा वही है बस किरदार बदले नजर आ रहे हैं।

सेना की छावनी के कारण पड़ा नाम, मंगल पांडे पार्क दिलाता है याद-
बैरकपुर का नाम सेना की छावनियों के कारण पड़ा। यहां अंग्रेजों ने कई बैरक बना रखी थी। स्थानीय लोगों ने बैरक को देखते हुए इस क्षेत्र को बैरकपुर कहना शुरू किया था। बैरकपुर में शहीद मंगल पांडे पार्क पर्यटन का प्रमुख केंद्र भी है। हुगली नदी के किनारे बने इस पार्क में मंगल पांडे का स्मारक भी है। पार्क के मुख्यद्वार पर तैनात सुरक्षाकर्मी ने दूसरी तरफ की चारदीवारी की ओर इशारा करते हुए बताया कि उधर ही शहीद मंंगल पांडे को फांसी दी गई थी। दीवार के उस तरफ देखने का प्रयास किया तो परिसर में कई अंग्रेज अफसरों की मूर्तियां नजर आ रही थी। जबकि हर आने जाने वाले पार्क में घुसते ही सबसे पहले शहीद के स्मारक को नमन करता है। यहां बस यही बात दिल को छू गई।

भाजपा ने चुनाव में खेला सहानुभूति का कार्ड-
बैरकपुर में पिछले साल अक्टूबर में भाजपा नेता मनीष शुक्ला की थाने के निकट गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। स्थानीय भाजपा सांसद अर्जुन सिंह के विश्वस्त सहयोगी की हत्या को लेकर भाजपा ने जबरदस्त विरोध दर्ज कराया था। आरोप तृणमूल से जुड़े लोगों पर था। इस हत्याकांड के बाद से ही क्षेत्र में भाजपा के प्रति सहानुभूति नजर आ रही है। इसे देखते हुए भाजपा ने विधानसभा चुनाव में मनीष के पिता चन्द्रमणि शुक्ला को टिकट दिया है। उनका जोर एक ही बात पर है बुलेट का जवाब बैलेट से दिया जाए। जबकि तृणमूल ने यहां फिल्म निर्देशक राजू चक्रवर्ती को प्रत्याशी बनाया है। पार्टी में बाहरी को टिकट के मुद्दे पर अंदरखाने विरोध भी है। पांच प्रत्याशी मैदान में हैं लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा तृणमूल के बीच है। क्षेत्र में भाजपा के ही सांसद हैं। जबकि बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र की सभी सातों विधानसभा सीटों पर फिलहाल तृणमूल का कब्जा है। स्थानीय लोग चुप्पी साधे हुए हैं। स्टेशनरी व्यवसायी कार्तिक ने बस इतना कहा, राजनीतिक हिंसा से तंग आ गए हैं। सभी लोग शांति चाहते हैं।

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