मिली जानकारी के मुताबिक इस नई तकनीक की मदद से दो व चार पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत को काफी कम करने में मदद मिलेगी। टीम के अनुसार, IIT (BHU) में लैब स्केल का विकास पहले ही किया जा चुका है। वहीं देश की अग्रणी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता में से एक ने भी इस नई तकनीक में रुचि दिखाई है, और इस तकनीक के तहत एक पूरी तरह से कर्मिशयल वाहन तैयार करने जा रही है, बता दें, सामने आई इस नई तकनीक को मौजूदा इलेक्ट्रिक वाहनों पर लागू किया जा सकता है।
50 % तक कम होगी कीमत
वाहन मालिक आउटलेट के माध्यम से वाहनों को चार्ज करते हैं, और इससे इलेक्ट्रिक वाहन बहुत महंगे हो जाते हैं। वहीं इस प्रस्तावित ऑनबोर्ड चार्जर तकनीक के माध्यम से अतिरिक्त पावर इलेक्ट्रॉनिक्स इंटरफ़ेस को कम करने की कोशिश जारी है, और इसलिए इसमें शामिल घटकों को 50PS तक कम कर दिया गया है। बता दें, वर्तमान ऑनबोर्ड चार्जर की तुलना में इस चार्जर की कीमत लगभग 40-50 प्रतिशत कम हो जाएगी। चार्जर की लागत में कमी से EV की लागत भी कम हो जाएगी। इस तरह प्रस्तावित तकनीक ईवीएस के लिए कम लागत वाली तकनीक दे रही है।
यहां दिलचस्प बात यह है, कि यह तकनीक पूरी तरह से स्वदेशी होगी और भारतीय सड़कों पर बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहन चलाने पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगी।" इस विषय पर बात करते हुए आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि "इस तकनीक का वाणिज्यिक, सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव होगा। उन्होंने कहा, "प्रौद्योगिकी चार्जिंग बुनियादी ढांचे में सुधार करेगी और भारतीय सड़कों पर इलेक्ट्रिक वाहन लाने के सरकार के मिशन का समर्थन करेगी।"