लोकसभा में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों के सीईओ और प्रबंध निदेशकों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। उन्होनें कहा है कि, वाहन निर्माताओं की तरफ से जवाब मिलने के बाद आगे की अतिरिक्त कार्रवाई की जाएगी। कंपनियों से पूछा गया है कि वो आग लगने की घटनाओं के मामले में कारण बताएं कि, आखिर उन पर मोटर व्हीकल एक्ट से संबंधित सेक्शन क्यों न लगाया जाए।
हाल के महीनों में बिजली से चलने वाले दोपहिया वाहनों में आग लगने की कई खबरें आई हैं, ऐसे समय में लोगों की सेफ्टी को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं जब सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल पर बड़ा जोर दे रही है। वहीं कुल वाहन निर्माताओं को अपने कुछ मॉडलों को रिकॉल भी करना पड़ा था। नितिन गडकरी ने कहा कि, मंत्रालय "समय-समय पर" सुरक्षा मानकों को अधिसूचित करता है और वाहन निर्माताओं द्वारा इनका "अनुपालन किया जाना आवश्यक है"।
उन्होनें कहा कि इस प्रक्रिया को केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 126 के तहत अधिसूचित किया गया था, जो कहता है कि अप्रूवल सर्टिफिकेट केवल प्रोटोटाइप या कंपोनेंट्स को जारी किया जाता है जो सभी निर्देशित मानकों को पूरा करते हैं।
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बता दें कि, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की कुल बिक्री में 6 प्रतिशत तक का इजाफा देखा जा रहा है। बीते दिनों नितिन गडकरी ने राज्यसभा में अपने लिखित जवाब में कहा था कि, देश में 13 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड इलेक्ट्रिक वाहन हैं। हालांकि आग लगने की घटानाओं के बाद कुछ कंपनियों अपने वाहनों को रिकॉल भी किया था। ओकिनावा ऑटोटेक ने 16 अप्रैल को 3,215 वाहनों को वापस मंगाया, 21 अप्रैल को प्योर ईवी ने 2,000 और 23 अप्रैल को ओला इलेक्ट्रिक ने 1,441 वाहनों को वापस मंगाया।