scriptमप्र में अध्यापकों के ‘शिक्षक’ बनने का सपना रहा अधूरा | Broken dream to become a 'teacher' of 2.5 lakh teachers in MP | Patrika News

मप्र में अध्यापकों के ‘शिक्षक’ बनने का सपना रहा अधूरा

locationजयपुरPublished: Oct 22, 2018 01:07:35 pm

Submitted by:

dilip chaturvedi

ये करीब ढाई लाख हैं और राज्य की शिवराज सरकार से काफी खफा हैं…कह रहे हैं कि सरकार ने उनके साथ छल किया है…

mp teachers

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भोपाल। मध्यप्रदेश में अध्यापकों के शिक्षक बनने का सपना अधूरा रह गया, राज्य सरकार ढाई लाख अध्यापकों कई माह से लुभाती आई और शिक्षा विभाग में संविलियन का लॉलीपॉप दिखाती आई, मगर अध्यापकों के हाथ खाली ही रहे। आचार संहिता लागू होने के कारण अध्यापकों के शिक्षा विभाग में संविलियन की प्रक्रिया रोक दी गई है। राज्य सरकार ने 30 सितंबर तक अध्यापकों के शिक्षा विभाग में संविलियन (मर्ज) करने का फैसला लिया था, मगर यह समय पर नहीं हो पाया। गोयाकि, छह अक्टूबर को आचार संहिता लागू हो गई थी और उसके बाद राज्य की लोक शिक्षण आयुक्त जयश्री कियावत ने एक आदेश जारी कर संविलियन की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।

आयुक्त कियावत ने संयुक्त संचालक, जिला शिक्षाधिकारियों को आदेश जारी कर कहा है कि छह अक्टूबर को प्रदेश में विधानसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है, भर्ती अधिनियम-2015 के अंतर्गत अध्यापक संवर्ग के व्यक्तियों की नवीन शैक्षणिक संवर्ग में नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से स्थगित की जाती है।

आयुक्त के इस आदेश से प्रदेश के ढाई लाख अध्यापकों का शिक्षक बनने का सपना अधूरा रह गया। अध्यापकों में सरकार के रवैए को लेकर खासी नाराजगी है, हर तरफ से सवाल उठ रहे हैं कि सरकार की संविलियन की जब मंशा ही नहीं थी तो क्यों उन्हें बीते कई सालों से लुभाया जा रहा था। अध्यापक अपने को छला महसूस कर रहे हैं।

वर्तमान में अध्यापक नगरीय निकाय और पंचायतों के अधीन आते हैं, यह शिक्षा विभाग के कर्मचारी नहीं है। राज्य सरकार ने अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन कर उन्हें शिक्षक बनाने का ऐलान किया था, मगर घोषणा पूरी नहीं हो पाई।

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