इसके बाद प्रशासन ने रेस्मा लागू करने पर मंथन शुरू कर दिया। इस बीच प्रशासन ने प्रदेशभर में विद्युत आपूर्ति सुचारू रूप से बनाए रखने के ?भी निर्देश दिए। हालांकि, ऐसे हालात में यदि विद्युत आपूर्ति में बड़ी तकनीकी खामी आती है तो जनता के लिए बड़ी परेशानी खड़ी होने की आशंका बन गई है। इससे निपटने के लिए बिजली कंपनियों के पास बहुत ज्यादा वैकल्पिक इंतजाम नहीं है।
प्रशासन का दावा – 108 करोड़ का आएगा भार
प्रशासन का दावा है कि वेतन शृंखला में बढ़ोत्तरी करने की स्थिति में करीब 108 करोड़ रुपए अतिरिक्त आर्थिक भार आएगा। जबकि, कर्मचारियों संगठनों से इसे नकारते हुए प्रति कर्मचारी 600 रुपए प्रति माह अतिरिक्त भार आने का दावा किया।
एहतियात बरतने के दिए निर्देश
सुबह और दोपहर बाद दोनों समय हाजिरी की जाएगी और जो कर्मचारी—अधिकारी मौजूद नहीं हो उसकी अनुपस्थित लगाएं। काम में बाधा डालने वाले या दूसरों को हड़ताल—धरने में शामिल होने का दबाव बनाने वाले कर्मचारी—अधिकारियों के जानकारी तत्काल स्थानीय प्रशासन व पुलिस प्रशासन को दें। विद्युत सप्लाई बाधित नहीं हो, इसके पूरे इंतजाम किए जाएं।
इन कर्मचारी संगठनों का समर्थन
प्रांतीय विद्युत मण्डल मजदूर फैडरेशन, पॉवर इंजीनियर एसोसिएशन ऑफ राजस्थान, बिजली इंजीनियर्स एसोसिएशन ऑफ जोधपुर डिस्कॉम, राजस्थान विद्युत तकनीकी कर्मचारी एसोसिएशन, राजस्थान बिजली वर्कर्स फैडरेशन, ऑल राजस्थान इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फैडरेशन, विद्युत कामगार एकता फैडरेशन, राजस्थान विद्युत मण्डल सचिवालय कर्मचारी संघ, राजस्थान विद्युत कर्मचारी एवं मजदूर महासंघ।
-सभी का अवकाश तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। जो कार्य बहिष्कार करने का दबाव डालेंगे, उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। आर.जी. गुप्ता, अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक, डिस्कॉम्स
-उर्जा विभाग ने तो सरकार के पास प्रस्ताव भेजने का रटा-रटाया जवाब दे दिया। यह तो कई माह से बताया जा रहा है। हमारा महापड़ाव जारी रहेगा, भले ही अनुमति बढाई जाए या नहीं। बी.एल. मीणा, संचालन मण्डल प्रतिनिधि, राजस्थान विद्युत संयुक्त कर्मचारी एकता मंच