आयकर विभाग में कर्मचारियों और अधिकारियों की कमी है, यह बात आयकर कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष यशवंत पुरोहित ने चर्चा करते हुए स्वीकारी।
भोपाल। देश में नोटबंदी के बाद आयकर विभाग की जिम्मेदारी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई। हर कोई इस विभाग की ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है। लेकिन क्या आपको पता है कि इस विभाग में अधिकारी व कर्मचारियों की संख्या कितनी है, इसका ब्योरा विभाग के पास ही नहीं है।
बता दें कि देश में नोटबंदी का एलान आठ नवंबर को किया गया था, पीएम मोदी ने कालाधन बाहर लाने का वादा भी किया। सरकार के इस वादे केा पूरा करने की सबसे अहम जिम्मेदारी आयकर विभाग पर है, क्योंकि यही विभाग बैंक खातों में जमा रकम से लेकर आय से अधिक संपत्ति पर नजर रखकर कार्रवाई करने वाला विभाग है।
नीमच के चंद्रशेखर गौड़ ने लगाई आरटीआई
सूचना के अधिकार के तहत विभाग की जानकारी चौंकाने वाली है। मध्यप्रदेश के नीमच जिले के निवासी सूचना के अधिकार के कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) से जानना चाहा था कि विभाग में कुल कितने अधिकारी व कर्मचारी कार्यरत हैं, कितना मैन पॉवर कम है और बीते पांच वर्षों में कितनी संख्या में कर्मचारी व अधिकारी सेवानिवृत्त हुए हैं और उसके एवज में कितनी नियुक्तियां हुई हैं, इसका ब्योरा दिया जाए।
जानकारी के अनुसार गौड़ को चार अगस्त 2016 को केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी आयकर विभाग (एचआरडी) प्रदीप ने जो जवाब भेजा उसमें कहा गया, “आपने जो जानकारी चाही है वह उनके कार्यालय में उपलब्ध नहीं है।” यहां बताना लाजिमी होगा कि देश में नेाटबंदी से पहले आयकर विभाग के पास जो जिम्मेदारियां थीं, वह तो अब भी है, वहीं नोटबंदी के एलान कि बाद उसकी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है।
गौड़ ने बताया, “केंद्र सरकार कर संग्रह बढ़ाने की बात करती है, यह ठीक भी है मगर उनके दिमाग में एक सवाल भी था कि क्या सरकार की मंशा को पूरा करने के लिए विभाग में पर्याप्त स्टॉफ है भी या नहीं। इसी हकीकत को जानने के लिए सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी। जो जानकारी आई है वह अचरज में डालने वाली है।”
आयकर विभाग में कर्मचारियों और अधिकारियों की कमी है, यह बात आयकर कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष यशवंत पुरोहित ने चर्चा करते हुए स्वीकारी। उन्होंने बताया, “देश में आयकर विभाग में कुल 70 हजार पद है, मगर वर्तमान में लगभग 48 हजार कर्मचारी ही कार्यरत है, इस तरह 23 हजार से ज्यादा कर्मचारियों के पद रिक्त है।” वे आगे कहते हैं कि, यह बात सही है कि नोटबंदी के बाद उनका काम बढ़ा है, मगर कर्मचारियों की कमी से उन्हें जूझना पड़ रहा है।