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Chakkajam: RSRTC में दो संगठन आमने-सामने, आधी रात बाद पुलिस घेरे में निकाली बसें

रोडवेजकर्मियों के संयुक्त मोर्चा ने चक्काजाम हड़ताल की घोषणा भले ही कर दी लेकिन भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध परिवहन फैडरेशन ने हड़ताल का विरोध कर….

Sep 17, 2018 / 10:40 am

जमील खान

Chakkajam

रोडवेजकर्मियों के संयुक्त मोर्चा ने चक्काजाम हड़ताल की घोषणा भले ही कर दी लेकिन भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध परिवहन फैडरेशन ने हड़ताल का विरोध कर काम जारी रखने का ऐलान किया। ऐसे में टकराव के हालात खड़े हो गए। जैसे ही रात के 12 बजे और बसें निकलने लगीं, फैडरेशन विरोध में आ गया। इस पर पुलिस सुरक्षा के बीच यात्रियों को बैठाकर बसें रवाना की गईं। हालांकि, देर रात तक केवल 4-5 बसें ही संचालित की जा सकीं। दोनों संगठनों की रविवार को सरकार से अलग-अलग वार्ता हुई। इसके बाद फैडरेशन ने तो अनशन ही जारी रखने का निर्णय किया। लेकिन वार्ता विफल होने के बाद संयुक्त मोर्चा ने हड़ताल का ऐलान कर दिया। मोर्चा ने दावा किया कि करीब 10 हजार कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से राज्य में 4716 बसों के पहिए थमे रहेंगे।

दोनों संगठनों में टकराव के हालात होने से आशंकित सिंधी कैम्प बस स्टैंड प्रशासन ने 150 पुलिसकर्मी तैनात करने के लिए पुलिस कमिश्नरेट को पत्र भेजा। दोनों संगठन सातवां वेतनमान लागू कराने पर अड़े हैं लेकिन सरकार आर्थिक भार देख रही है। इससे सरकार पर 22 करोड़ रुपए प्रतिमाह अतिरिक्त भार पड़ेगा। जबकि सरकार हर माह रोडवेज को 45 करोड़ रुपए दे रही है।

परिवहन मंत्री ने कहा कि 150 करोड़ में से रोडवेज प्रशासन को 48 करोड़ रुपए दे दिए गए हैं। अगले 2-3 दिन में 50 करोड़ रुपए और जारी कर दिए जाएंगे। शेष राशि भी जल्दी ही दे दी जाएगी ताकि रिटायर्ड कर्मियों को भुगतान हो सके। सातवें वेतनमान पर मंत्री ने कहा कि कमेटी की 3 बैठकें हो चुकी हैं, रिपोर्ट आने पर फैसला किया जाएगा।

आज यह हो सकती है परेशानी
-10.5 लाख लोग सफर करते हैं राज्य में रोडवेज बसों में रोजाना, आज संभव है कि बस न मिले
-4716 बसें बंद रखने का है ऐलान, जो रोजाना 16.50 लाख किमी चलती हैं
-5.30 करोड़ रुपए आय होती है रोजाना रोडवेज को, जिससे हाथ धोना पड़ सकता है
-1300 बसें नहीं चलेंगी सिन्धी कैम्प बस स्टैंड से, इससे 55 हजार यात्री होंगे प्रभावित
-11 राज्यों में जाती हैं रोडवेज बसें, वे भी नहीं जाएंगी

-सरकार मांगें पूरी करने के लिए तैयार नहीं है। सातवें वेतनमान की मांग ठंडे बस्ते डालना चाहती है। हम हड़ताल पर रहेंगे। किशनसिंह राठौड़, महासचिव, सीटू यूनियन

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