इसके बाद, वॉल्टर ने फैसला लिया कि वह पैदल ही ऑफिस जाएगा। उसे नौकरी की जरुरत थी और उसके फोन ने बताया कि 20 मील का सफर पैदल तय करने में सात घंटे लगेंगे। कार (20) ने बताया कि मैं ऐसा इंसान नहीं हूं जो आसानी से हार मान ले। मैं हार मानने वाला इंसान नहीं हूं। मैं तभी हार सकता हूं जब खुद हार मान लूं।
कार शुक्रवार रात 11.40 बजे ऑफिस के लिए पैदल ही निकल पड़ा और अगले दिन शनिवार को सुबह 4 बजे पेल्हाम पहुंच गया। हालांकि, उसकी शिफ्ट सुबह आठ बजे शुरू होनी थी। हालांकि, बात यहीं खत्म नहीं हुई। कार को उस महिला को भी ढूंढऩा था जिसने उसे नौकरी लगवाने में मदद की थी। इतना लंबा सफर तय करने के बाद वह थक गया था और थोड़ी देर आराम करने के लिए वह एक मैदान में बैठ गया। इसी दौरान, पुलिस कार में गश्त लगा रहे पुलिस अधिकारी मार्क नाइटेन ने कार को मैदान में बैठे देखा तो उससे पूछताछ शुरू कर दी।
कार की पूरी कहानी सुनने के बाद मार्क उसके मुरीद हो गए। मार्क अपने दो अन्य साथियों के साथ कार को एक रेस्त्रां में ले गए जहां पहले उन्होंने उसे नाश्ता करवाया और दोपहर का भोजन भी पैक करवाकर उसे दे दिया। नाश्ता करवाने के बाद वे उसे एक चर्च ले गए जहां कार ने ऑफिस शुरू होने से पहले थोड़ी देर आराम भी किया।
वॉल्टर की कहानी यहीं खत्म नहीं होती है। काम खत्म करने के बाद घर वापसी के लिए उसे फिर से ही पैदल जाना पड़ा। रास्ते में एक बार फिर उसे एक और पुलिस अधिकारी मिला। इस पुलिस अधिकारी ने जब उसकी कहानी सुनी तो उसने उसे अपने फेसबुक अकाउंट पर डाल दी।
जब कार की कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ल्यूक मार्कलिन को उसकी कहानी के बारे में पता चला तो वह उससे बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने उसे अपनी कार वॉल्टर को तोफे में दे दी। वॉल्टर के लिए यह एक सपने से कम नहीं था। मार्कलिन ने अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखा कि ऐसे कर्मचारी बहुत कम होते हैं। ऐसे कर्मचारियों की हमें उनकी इज्जत करनी चाहिए। इस तरीके के कर्मचारी सबके लिए रोल मॉडल होते हैं।