ज्ञापन में कहा गया है अधिकारी बैठकों के दौरान जींस, कार्गो पैंट्स आदि जैसे कैजुअल कपड़े नहीं पहने। मुख्य सचिव ने ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि बैठकों के दौरान कुछ अधिकारी संदेश भेजने और पढऩे में भी व्यस्त रहे हैंं, जो कि ‘अनादरà का प्रतीक है। इस आदेश का माक्र्सवादी और कांग्रेस पार्टियों और अन्य विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि यह सरकार की ‘सामंती मानसिकताà का परिचायक है।
त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तपस डे ने सरकार के आदेश को’सामंती मानसिकताà वाला करार देते हुए कहा कि सरकार मूलभूत सुविधाओं की खामियों को नजरदांज कर रही है और ऐसे मामलों को मुद्दा बना रही है जिससे लोगों का ध्यान बांटा जा सके। माकपा प्रवक्ता गौतम दास ने इस आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि यह ब्रिटिश शासन की याद दिलाता है। उन्होंने कहा,’देश में लोकतंत्र है उपनिवेशवाद नहीं। कोई कैसे यह आदेश देत सकता है कि ड्रेस कोड के नाम पर आप क्या पहने क्या नहीं। इसकी जितनी निंदा की जाए कम है।