उन्होंने कहा कि राज्य में सहकारी बैंकों में भी सरलता से ऋण नहीं दिया मिलता। इस कारण लोग अपने मकान व जमीन गिरवी रखते हैं। रोजगार नहीं मिलने के कारण, फसल विफल जाने के कारण लोन की किश्त नहीं जमा करने वाले लोगों को फिर से ऋण के दरवाजे बंद हो जाते हैं। इस कारण जमीन-संपत्ति बैंक से छुड़ाने के लिए सूदखोरों से उधार लेना पड़ता है। इन परिस्थितियों से निकालने के लिए यदि इस विधेयक में व्यवस्था होती तो अच्छी बात होती।
उन्होंने यह भी कहा कि गरीब किसान को डिफॉल्टर बताकर उनके लिए लोन लेने के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं, लेकिन जनता की कमाई पूंजी के रूप में बैंक में रखती है और यह लाखों-करोड़ों की रकम विजय माल्या, ललित मोदी व नीरव मोदी लेकर सरकार की जानकारी के तहत विदेश भाग जाते हंैं और ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाता।
धानाणी ने आरोप लगाया कि राज्य में जमीन माफिया-पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से जमीन पचाने का षडयंत्र चल रहा है। उन्होंने यह भी पूछा कि राज्य में जारी जमीन के रिसर्वे का काम कितने दिन में पूरा होगा। सैटेलाइट से माप की जानकारी किसानों को नहीं होती है। इसी मुद्दे पर विधेयक का विरोध करने वाले कांग्रेस विधायक इमरान खेड़ावाला ने भी कहा कि यहां पर नीरव मोदी व विजय माल्या जैसे लोगों को लोन मिल जाता है वहीं आम किसानों व लोगों को एक किश्त नहीं भरने पर डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाता है।