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विंध्य के बच्चों में कुक्कुर खांसी का कहर, जानिए बचाव और उपचार के तरीके

locationरीवाPublished: Apr 12, 2018 07:43:14 pm

Submitted by:

Dilip Patel

टीकाकरण के बाद केस पाजिटिव मिलने से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप, जीएमएच सहित निजी अस्पतालों में भर्ती कराये गए दो दर्जन के अधिक बच्चे

Children suffering from heart disease with birth

Children suffering from heart disease with birth

रीवा. टीकाकरण के बावजूद कुक्कुर खांसी के केस बड़ी संख्या में सामने आने से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है। श्यामशाह मेडिकल कॉलेज के गांधी स्मारक अस्पताल सहित कई निजी अस्पतालों ने संक्रामक रोग निगरानी (आईडीएसपी) कार्यालय को रिपोर्ट दी है। दो दर्जन से अधिक बच्चे इस बीमारी के चपेट में बताए जा रहे हैं। बच्चों के सैंपल जांच के लिए एकत्र किए गए हैं। गौर करने वाली बात ये है कि विंध्य के सभी जिलों सतना, सीधी, सिंगरौली, शहडोल और रीवा से केस सामने आए हैं।
जिन बच्चों को टीके लगे थे उनमें भी बीमारी

श्यामशाह मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि जिन बच्चों को टीके लगे थे उनमें भी यह बीमारी तेजी से फैल रही है। इसकी रोकथाम के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। अगर रोकथाम में लापरवाही बरती गई तो परिणाम भयावह हो सकते हैं। शिशु रोग विशेषज्ञों का मानना है कि इस बीमारी के दो तरह के टीके लगते हैं एक दर्द रहित होता है दूसरे में दर्द और बुखार आता है। बीते कई वर्षों से प्राइवेट अस्पतालों में बच्चों को दर्द रहित टीके लगाए गए हैं। यह टीका कम प्रभावी होता है। जिसके कारण बच्चें कुक्कुर खांसी की गिरफ्त में आ रहे हैं।
ये बच्चे हैं गिरफ्त में
शहडोल के रेहान खान, सुहेल खान, सीधी का रावेन्द्र, सिरमौर रीवा से सौम्या तिवारी, देव पटेल, हनुमना की रुखसार खान, समर तिवारी, क्षमा जायसवाल, आदर्श साहू, सतना से जय द्विवेदी, आर्यन स्वरूप सहित करीब दो दर्जन बच्चे कुक्कुर खांसी की गिरफ्त में हैं। गंभीर अवस्था में इनमें से कुछ जीएमएच में भर्तीहैं तो कुछ शहर के एक निजी अस्पताल में है। रेहान और सुहेल खान की रिपोर्ट पाजिटिव आई है। बच्चों के सैंपल जांच के लिए इंदौर भेजे जा रहे हैं।
यह है कुक्कुर खांसी
यह बीमारी बोर्डेटेल्ला परट्यूसिया जीवाणु के संक्रमण से फैलती है। जो शुरुआत में नाक और गला को प्रभावित करता है। प्राय: 2 वर्ष से कम आयु के बच्चों में होती है। इस बीमारी का नाम कुक्कुर खांसी इसलिए पड़ा है क्योंकि पीडि़त सांस लेते समय भौंकने जैसी आवाज करता है।
क्यों है खतरनाक
यह बीमारी श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है। छह माह के बच्चों में श्वसन नली सिकुडऩे से मौत की संभावना अधिक होती है। मेडिकल साइंस के मुताबिक इस बीमारी से एक वर्ष में 4.15 प्रतिशत बच्चे मरते हैं।
यह है उपचार
इस बीमारी के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स का प्रयोग अधिक किया जाता है। खांसी ठीक होने में 10 से 15 दिन लगते हैं। श्वसन नलियों की सिकुडऩ को कम करने के लिए दवाएं दी जाती है। पहले डीटीपी का टीका लगता था अब पेंटावैलेंट का टीका लगाया जाता है।
कुुक्कुर खांसी के लक्षण
5 से 10 मिनट तक खांसी आती है। छोटे बच्चों में सांस बे्रक हो जाती है। झटके आने लगते हैं। पेट मचोडऩे लगता है। खून की उल्टी होती है।

फैक्ट
-25 मरीज आए सामने।
-05 मरीजों में पुष्टि।
कुक्कुर खांसी के केस बढ़ रहे हैं
वर्तमान में जिस तरह तेजी से कुक्कुर खांसी के केस बढ़ रहे हैं वह अच्छे संकेत नहीं हैं। रोकथाम के प्रभावी इंतजाम स्वास्थ्य महकमे को करने होंगे। इस संबंध में इंटीग्रेटेड डिसीज सर्विलेंस मेडिकल अफसर को रिपोर्ट दी गई है।
प्रो. डॉ. ज्योति सिंह, शिशु रोग विभागाध्यक्ष, एसएस मेडिकल कॉलेज रीवा।
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