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पीएम मोदी की ‘हां’ के बिना भारत में नहीं रिलीज होगी ‘केजरीवाल’ पर बनी फिल्म, सेंसर बोर्ड ने रखी NOC की डिमांड

Published: May 26, 2017 01:15:00 pm

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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है। इस हिंदी-इंग्लिश डॉक्युमेंट्री का टाइटल ‘ऐन इनसिगनीफिकंट मैन’ है। डॉक्यूमेंट्री को भारत में रिलीज करने के लिए सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जाकर NOC लेकर आने के लिए कहा है।

मुंबई के दो फिल्ममेकर्स खुशबू रांका और विनय शुक्ला ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है। इस हिंदी-इंग्लिश डॉक्युमेंट्री का टाइटल ‘ऐन इनसिगनीफिकंट मैन’ है। इस डॉक्यूमेंट्री में अन्ना हजारे द्वारा शुरू किया गया ऐंटी करप्शन प्रोटेस्ट, आम आदमी पार्टी का जन्म, केंद्र में बनी एनडीए की सरकार और फिर अरविंद केजरीवाल का जबरदस्त बहुमत के साथ दिल्ली का मुख्यमंत्री बनना जैसे कई मुद्दे शामिल है। 
इस डॉक्यूमेंट्री को प्रोड्यूस ‘शिप ऑफ थीसिअस’ के डायरेक्टर आनंद गांधी ने किया है। इसका प्रीमियर पिछले साल टोरंटो इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल में हुआ था। जिसके बाद टोरंटो से लेकर अब तक यह डॉक्युमेंट्री दुनियाभर के करीब 40 फिल्म फेस्टिवल्स में स्क्रीन हो चुकी है। वहीं इस डॉक्यूमेंट्री को भारत में रिलीज करने के लिए सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने एक अनोखी मांग रखी है। निहलानी ने फिल्म के मेकर्स से कहा है कि “वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जाकर NOC यानी ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ लेकर आएं तभी यह डॉक्यूमेंट्री भारत में रिलीज हो पाएगी। 
यहीं नहीं सेंसर बोर्ड ने डॉक्युमेंट्री में जहां-जहां भी बीजेपी और कांग्रेस का उल्लेख किया है उसे पूरी तरह से डिलीट करने और पीएम मोदी के साथ ही दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री केजरीवाल से भी NOC लेकर आने को कहा है। सेंसर बोर्ड से इस निर्णय से नाराज डॉक्यूमेंट्री की निर्देशक खुशबू रांका ने कहा, “क्या मिस्टर निहलानी अब यह उम्मीद कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री सेंसर चीफ का काम भी करें?’ अगर उन्हें किसी भी तरह की कोई परेशानी होगी तो वह खुद हमारे खिलाफ केस कर सकते है। सेंसर बोर्ड का काम फिल्मों को सर्टिफाई करना है नेताओं की रखवाली करना नहीं।” खूशबू ने कहा, “कम से कम सेसर बोर्ड हमें एग्जैक्ट सीन और स्टेमेंट तो बताएं जिससे उन्हें परेशानी है और जिसके लिए हमें इन नेताओं से हृह्रष्ट लेने की जरूरत है।”
खुशबू आगे कहती हैं, “हमने जिन नेताओं के पब्लिक अपियरेंस का फुटेज इस्तेमाल किया है वह पहले से प्रमाणित है और सभी टीवी चैनल्स कर कई बार प्रसारित हो चुका है। अगर पत्रकारों को ऐसी जानकारी जो पहले से पब्लिक डोमेन में है उसे दिखाने के लिए NOC लेने की जरूरत नहीं है तो फिल्मकारों के लिए अलग नियम क्यों बनाया गया है?” आपको बता दें कि अगले हफ्तों में इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग सिडनी, न्यूजीलैंड और वॉशिंगटन में होगी। 
वहीं इस पूरे मामले पर सेंसर बोर्ड के निर्दशक पहलाज निहलानी का कहना है कि सेंसर बोर्ड ने किसी भी तरह के कट के लिए नहीं कहा है। NOC के बारे में निहलानी ने कहा कि “डॉक्युमेंट्री के निर्देशकों ने रीयल फुटेज का इस्तेमाल किया है जिसमें संसद की कार्यवाही और कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के असली नाम का इस्तेमाल किया गया है। पहलाज निहलानी पहले ही कह चुके है कि बिना सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट मिले किसी भी फिल्म को अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीन करने की परमिशन नहीं देनी चाहिए। 
पहलाज निहलानी ने उदाहरण को तौर पर बताते हुए कहा, ‘जब करण जौहर ने अपनी एक फिल्म में रवीना टंडन के नाम का इस्तेमाल किया था तो उन्होंने रवीना से NOC ली थी। इसी तरह जॉली LLB2 के निर्माताओं ने भी सलमान खान के रेफरेंस के लिए NOC लिया था। इसलिए उन्हें मोदी, शीला दीक्षित का नाम लिया है तो उनसे NOC लानी पड़ेगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अरविंद केजरीवाल पर बनी यह डॉक्यूमेंट्री भारत में रिलीज हो पाएगी या नहीं!

 

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