उन्होंने कहा- ये लाइलाज नहीं है। मानसिक बीमारियों को उसी तरह से हैंडल किया जाना चाहिए, जैसे अन्य डिजीज को करते हैं। रितिक ने कहा कि डिप्रेशन कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसकी वजह से इसके शिकार को गलत तरीके से देखा जाए।
मैंने कई उतार चढ़ाव देखे हैं। मैंने डिप्रेशन को अनुभव किया है। कई सालों से ये बात मेरे दिमाग में थी।मैं सोचता था कि लोग इसे गलत तरीके से क्यों देखते हैं। मैंने अपने कई दोस्तों को देखा है जो डिप्रेशन से गुजर रहे हैं, लेकिन किसी को इस बारे में कुछ नहीं बता पाते।
इस बात ने मुझे बहुत परेशान किया। जब हम पेट या किडनी की बीमारी से जूझ रहे होते हैं तो हम इसे सामान्य मानते हुए इसका इलाज कराते हैं। लेकिन दिमाग की कोई समस्या हो, तो इसका इलाज करने या किसी को बताने से डर जाते हैं। ऐसा समझते हैं कि ये हमारी गलती है और इसे हमें दूसरे लोगों से छुपाना चाहिए।
डिप्रेशन से ऐसे बचें जिंदगी में कठिन परिस्थितियों में किसी की मदद मांगने में कोई शर्म नहीं है। अपने बुरे समय में अपनी पत्नी, सहकर्मी और दोस्त की सहायता लेने से आपको भावनात्मक बोझ से छुटकारा मिलेगा।
रोज एक्सरसाइज करें। इससे ऐसे हार्मोन्स निकलते हैं, जिससे अवसाद दूर होता है। सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है। व्यायाम करने से शरीर में सेरोटोनिन और टेस्टोस्टेरोन हारमोंस का स्त्राव होता है जिससे दिमाग स्थिर होता है और अवसाद देने वाले बुरे विचार दूर रहते हैं।
लीव लें। काम से ब्रेक नेगेटिविटी को दूर रखती है। यदि आप अवसादग्रस्त महसूस करें तो अपना बैग पैक करें और निकल पड़ें छुट्टी पर। अध्ययनों से पता चला है कि रोज 7 से 8 घंटे सोने वाले लोगों में अवसाद के लक्षण कम होते हैं।