हमारे देश की धरती ने संगीत की दुनिया में फनकारों को जन्म दिया है जिन्होंने विश्व पटल पर अपने नाम के साथ-साथ देश का नाम भी रौशन किया है..
journey of a famous singer
जालंधरः संगीत एक ऐसा विषय है जो हमारे देश में अपना अलग ही मुकाम रखता है. संगीत ने कई लोगों को फर्श से अर्श तक पहुँचाया है । हमारे देश की धरती ने संगीत की दुनिया में फनकारों को जन्म दिया है जिन्होंने विश्व पटल पर अपने नाम के साथ-साथ देश का नाम भी रौशन किया है। इस लिस्ट में सूफी गायक हंसराज हंस भी एक बड़ा नाम हैं। हंसराज हंस इन दिनों संगीत के साथ-साथ राजनीतिक वजहों से भी चर्चा में हैं और हों भी क्यों न, हाल ही में वह कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल जो हुए हैं।
हंसराज हंस बेशक आज कामयाबी के शिखर पर हैं और आज भले ही कामयाबी उनके कदम चूम रही है लेकिन उनका सफर संघर्ष से कम नहीं था। एक ऐसा ही किस्सा उनके जीवन से जुड़ा है। जब उनकी केवल दो कैसेट्स ही रिलीज हुई थीं और ज्यादा लोग उन्हें जानते भी नहीं थे। दिनभर के भूखे एक दिन शाम को वह किसी ठेले वाले के पास खाना खाने चले गए। प्लेट पकड़कर उन्होंने ठेले वाले से कहा कि पाजी मेरे पास पैसे नहीं है। यह सुनते ही ठेले वाले ने उनसे प्लेट छीन ली।
कई सालों की कड़ी मेहनत के बाद जब वे प्रसिद्ध गायक हो गए। तब वे फिर उस ठेले वाले के पास गए और बोले ये दो हजार रुपए लो। जो कोई गरीब तुम्हारे पास आए उसे भूखा न जाने देना। तब से लेकर आज तक वह हर महीने उस ठेले वाले को दो हजार रुपए देते हैं।
गायक हंसराज हंस सूफी गायक हैं। उनका जन्म गरीब सिख परिवार में 9 अप्रैल 1964 को जालंधर के पास शफीपुर में हुआ। हंसराज ने पंजाबी फोक म्यूजिक को फिल्मों के माध्यम से देश-दुनिया में पहचान दी है।