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यूपी पुलिस का यह ट्रेनी दरोगा स्पा सेंटर से इस तरह ऐंठ रहा था रुपये अमरोहा ज़िले के तहसील हसनपुर के घरौंट गाव निवासी महेन्द्र रामपुर सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर में एचसीपी के पद पर तैनात थे। 24 फरवरी 2005 को कश्मीर के टंकीपुरा में हुए फिदायीन हमले के दौरान ये शहीद हो गए थे। उस दौरान पूरे राष्ट सम्मान के साथ उनकी अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि के बाद में सरकार और प्रशासन की तरफ से उनके परिवार को तमाम वादे किए गए। शहीद की पत्नी का कहना है कि अभी तक एक भी वादा पूरा नहीं किया गया है। शहीद एचसीपी का बेटा और उनकी पत्नी की माने तो उस वक़्त कहा गया था कि उनके नाम से गांव की सड़क बनेगी। स्कूल व कालेज आदि की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा शहीद के परिवार को जमीन दी जाएगी। उस वक्त के प्रशासन ने बिना जमीन दे दी थी। लेकिंन बाद में वह जमीन भी प्रशासन ने छीन ली। शहीद की पत्नी बेटा बेटियों को इस बात का बहुत मलाल है। परिजनोंं की माने तो देश की आन बान शान के लिए दुश्मन से लोहा लेते हुए महेंद्र शहीद हो गए थे। लेकिन अभी तक उन्हें दिया गया एक भी वादा पूरा नहीं किसा गया। शहीद की पत्नी ने बताया कि ज़मीन दी गई तो वह भी बंजर निकली और कब्जा नही कर सकते। प्रशासन ने उस दौरान कोई कागज़ नही दिया था। प्रतिमा जहां लगाई गई थी, उस स्थान पर गंदगी के अंबार है।