कहानी
फिल्म की कहानी है चंदेरी नामक एक कस्बे की। इस कस्बे में एक भूत का काफी आतंक है। लोग इस भूत को स्त्री नाम से बुलाते हैं। यह स्त्री सिर्फ पुरुषों की ही अपनी शिकार बनाती है। अचानक कस्बे से कई पुरुष गायब होने लगते हैं। जिनके बाद में सिर्फ कपड़े ही मिलते हैं। कोई नहीं जानता कि यह क्या हो रहा है? सबके पास अपनी-अपनी कहानियां हैं। डर का माहौल शहर में पसरा हुआ है।
सच्ची घटना पर आधारित:
‘स्त्री’ की कहानी साउथ इंडिया में घटित हुई एक सच्ची घटना के आस पास घूमती है। दरअसल, 1990 के आसपास कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में एक अफवाह फैली थी कि एक ‘चुड़ैल’ है जो शहर की गलियों में रात के वक्त घूमती है और मर्दों की तलाश में रहती है। वो चुड़ैल लोगों के घरों का दरवाजा खटखटाती है और बड़ी प्यारी सी आवाज में घर के मर्द को आवाज देती है। खासकर मर्द की मां या पत्नी की आवाज में वो उन्हें पुकारती है। फिर जैसे ही वो मर्द बाहर जाता है वो चुड़ैल अगले 24 घंटे के भीतर-भीतर उसे मार देती है। इसके बाद लोगों ने इस चुड़ैल से बचने का उपाय ढूंंढा। लोगों ने कहना शुरू किया ‘नाले बा’। ‘नाले बा’ एक कन्नड़ शब्द है। इसका मतलब है कि ‘कल आना’। लोग अपने घरों के सामने ‘नाले बा’ लिख देते थे ताकि वो बुरी आत्मा उनके घर का दरवाजा न खटखटाए। ऐसा माना जाता था कि ‘नाले बा’ पढ़ने के बाद वो चुड़ैल वापिस लौट जाती थी। आज भी 1 अप्रैल को ‘नाले बा डे’ के तौर पर मनाते हैं। कहते हैं कि उन दिनों कई लोगों ने अपने घर के बाहर किसी के दरवाजा खटखटाने की आवाजें सुनी थी और कई भयंकर मर्डर भी हुए थे। पर जब इस बारे में डायरेक्टर अमर कौशिक से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि फिल्म ‘स्त्री’ सिर्फ ‘नाले बा’ वाली घटना पर ही आधारित नहीं है। फिल्म में देश की अलग-अलग जगहों पर फैली अफवाहों को लेकर कहानी तैयार की गई है।