सपा की बात करें, तो सपा के गढ़ माने जाने वाले मैनपुरी, फिरोजाबाद और एटा में रामगोपाल यादव का राज माना जाता है।
एटा। समाजवादी पार्टी में शुरू हुई कलह अभी न जाने कितनों को ले डूबेगी। सीएम अखिलेश यादव ने विधायकों के साथ हुई बैठक में शिवपाल सिंह यादव को मंत्रिमडल से बाहर निकाला, तो वहीं शिवपाल सिंह द्वारा प्राफेसर राम गोपाल यादव पर बीजेपी से मिले होने के आरोप लगाए। इसके बाद रामगोपाल यादव को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इस फैसले के बाद सपा के गढ़ कहे जाने वाले एटा, मैनपुरी और फिरोजाबाद की राजनीति में भूचाल आ गया है। प्रो. रामगोपाल सपा के राष्ट्रीय महासचिव थे।
यहां सिर्फ रहता था रामगोपाल का राज
सपा की बात करें, तो सपा के गढ़ माने जाने वाले मैनपुरी, फिरोजाबाद और एटा में रामगोपाल यादव का राज माना जाता है। फिरोजाबाद में रामगोपाल के पुत्र अक्षय यादव सासंद हैं, वहीं एटा की बात करें तो यहां पर यहां के एक दबंग नेता और विधायक पर रोमगोपाल का हाथ रहता है। वहीं मैनपुरी की राजनीति में कहा जाए, तो वहां भी रामगोपाल यादव का खासा दखल रहता है। ऐसे में प्रो. रोमगोपाल यादव को पार्टी निकाले जाने से यहां की इन तीनों जिलों की राजनीति में भूचाल आ गया है।
सब हैं हैरान
सपा के इतिहास में शायद 23 अक्टूबर का दिन सबसे बड़ा दिन माना जाएगा। कारण है कि यहां विघटन सपा का नहीं, बल्कि सैफई परिवार का हुआ है। ऐसा परिवार जो देश के सबसे बड़़े राजनीतिक परिवारों में शुमार है। पहले सीएम अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को मंत्रिमंडल से बाहर निकाला गया, उसके बाद प्रो. रामगोपाल यादव को पार्टी से बाहर कर दिया गया। इससे इन तीनों जिलों में सपा को अपना दबदबा बनाने के लिए एक बार फिर बड़ी मुश्किलों का सामना करना होगा।