वाह, ये अधिकारी अपनी छह माह की बेटी को आंगनबाड़ी केन्द्र पर ले गए और पहली बार खिलाया अन्न
एटाPublished: May 21, 2019 02:06:06 pm
आंगनवाड़ी केन्द्रों पर हुआ अन्नप्राशन, सिखाया गया कि बच्चों को किस तरह और किस तरह का भोजन कराएं
वाह, ये अधिकारी अपनी छह माह की बेटी को आंगनबाड़ी केन्द्र पर ले गए और पहली बार खिलाया अन्न
एटा। शिशु के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है कि उसको पूर्ण पोषण मिले, जन्म से 6 माह तक सिर्फ माँ का दूध ही पूर्ण व समुचित आहार का कार्य करता है, किन्तु 6 माह की आयु पूर्ण करने के पश्चात शिशु के शरीर की बढ़ती जरूरतों के अनुसार उसको स्तनपान के साथ-साथ ऊपरी आहार यानि पूरक आहार देना भी अनिवार्य है। इसी अवधारणा के साथ बाल विकास सेवा एवं पोषाहार विभाग उत्तरप्रदेश द्वारा संचालित सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर प्रति माह की 20 तारीख को अन्नप्राशन दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य 6 माह की आयु पूर्ण कर रहे समस्त शिशुओं को पूरक आहार शुरू करवाना एवं उनके अभिभावकों को पूरक आहार के संबंध में जागरूक करना होता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 4 (एनएफ़एचएस) 2015-16 के आंकड़ों के अनुसार जनपद में सिर्फ 24.2 प्रतिशत बच्चे ही 6 से 8 माह की आयु में स्तनपान के साथ पूरक आहार का सेवन करते हैं । ये आंकड़े दिखाते हैं कि कुपोषण की दर को कम करने और बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास हेतु सही समय पर सही पोषण यानि स्तनपान के साथ साथ पूरक आहार भी दिया जाए।
बाल विकास परियोजना अधिकारी ने अपनी बेटी का कराया अन्नप्राशन
सकीट के आंगनबाड़ी केंद्र पर आयोजित अन्नप्राशन गतिविधि में बाल विकास परियोजना अधिकारी राजीव कुमार की छह माह की बिटिया का अन्नप्राशन किया गया। इस कार्यक्रम में उन्होंने अपनी पत्नी सहित भाग लिया। इस अवसर पर जिला पोषण विशेषज्ञ प्रदीप शर्मा, परियोजना अधिकारी सोनी कुशवाह, मुख्य सेविका विमला यादव, पोषण सखी रीना यादव व आँगनबाडी कार्यकत्रियां उपस्थित रहीं।
आहार में विविधता हो
अन्नप्राशन दिवस के आयोजन पर बच्चों को घर पर दिये जाने वाले पोषक आहार की उपयुक्त विविधता, उपयुक्त मात्रा, उचित बारंबारता, उपयुक्त गाढ़ापन एवं खिलाने की शैली के संबंध मे परामर्श दिया गया। इस अवसर पर 7 तरह के खाद्य समूह की प्रदर्शिनी का आयोजन आंगनबाड़ी केंद्र पर किया गया। इसमें कार्यकत्रियों ने बताया कि बच्चों के सही पूरक आहार से तात्पर्य है कि आहार में विविधता हो, खाद्य समूह को 7 श्रेणी में विभाजित किया गया है, जिसमें से बच्चे को रोज कम से कम 4 तरह की श्रेणी या 4 प्रकार के खाद्य पदार्थ देना जरूरी है।
6 माह के सभी बच्चों को पूरक आहार शुरू कराएं
जिला कार्यक्रम अधिकारी सत्यप्रकाश पाण्डेय ने बताया कि अन्नप्राशन दिवस गतिविधि जिले के 1734 केन्द्रो पर आयोजित की गई, जिसमे 3564 बच्चों का अन्नप्राशन कराया गया। विभाग द्वारा प्रत्येक कार्यकत्री को निर्देश दिये गए हैं कि वह प्रति माह 5 तारीख को बचपन दिवस और 20 तारीख को अन्नप्राशन दिवस का आयोजन कर 6 माह के सभी बच्चों को पूरक आहार शुरू करवाएं और समुदाय को जागरूक करने हेतु माताओं की बैठक का आयोजन करे। आयु बढ़ने के साथ साथ पूरक आहार की मात्रा भी बढ़ाई जानी चाहिए और इसको सुनिश्चित करवाने हेतु कार्यकत्रियों को गृह-भेंट करने हेतु निर्देशित किया गया है। सभी कार्यकत्रियों की परामर्श प्रक्रिया को सुदृढ़ करने के लिए उनको विभाग द्वारा परामर्श पुस्तिका प्रदान की गई है।
7 प्रकार के खाद्य समूह
1) अनाज व कंदमूल
2) दालें, फलियाँ व मेवे
3) दूध व दूध से बने पदार्थ
4) पीले व नारंगी फल व सब्जियाँ
5) अन्य फल व सब्जियाँ
6) अंडा
7) मांस-मछली
पूरक आहार के मायने
– उपयुक्त विविधता (7 समूह में से 4 समूह का सेवन)
– उपयुक्त मात्रा व बारंबारता (आयु के अनुसार मात्रा जैसे 6 से 8 माह में 250 ग्राम की आधी-आधी कटोरी दिन में 2 बार, 9 से 11 माह में 250 ग्राम की आधी-आधी कटोरी दिन में 3 बार, 11 से 24 माह के शिशु को 250 की 3 पूरी-पूरी कटोरी दिन भर में देनी चाहिए)
-उपयुक्त गाढ़ापान (बच्चों को अर्ध-ठोस आहार दें, जो बहुत पतला न हो और न ही बहुत गाढ़ा)।
-खिलाने की शैली (प्रेम व धैर्य के साथ खिलाएँ क्योंकि बच्चे समय ज्यादा लगाते हैं) ।