पूरा मामला जनपद एटा के सत्र न्यायलय का है। जहां जिला जज रेणु अग्रवाल ने पिटाई के बाद हत्या के मामले में तीन लोगों के खिलाफ आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अन्य चार अरोपियों को 7-7 साल की सजा सुनाकर 5- 5 हजार रुपए का अर्थ दंड देकर सजा सुनाई है। बता दें कि रामौतार पुत्र रामभरोसे व उसके पुत्र वीरपाल व दुर्वेश आदि को आरोपित करते हुए वादी योगेश पुत्र नेकसू निवासी सिरावली थाना सोरों ने 20 सितम्बर 2006 को एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर में लिखा गया था कि आरोपियों ने लाठी-डंडों व नाजायज असलहों से लेस होकर मारपीट कर गोली चलाई थी जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
गोली चलने से उसके पिता नेकसू पुत्र तालेबर की मौत हो गयी थी। दूसरी ओर प्रतिपक्षी रामौतार आदि का आरोप था कि दूसरे पक्ष के योगेश, दिनेश, मानपाल पुत्रगण नेकसू व होरीलाल पुत्र बालिस्टर आदि द्वारा की गयी मारपीट में उनके पक्ष के लोग घायल हुए हैं। दोनों प्राथमिकियों पर जब पुलिस ने विवेचना की तो दोनों प्राथमिकी सही पायी गयीं। पुलिस का कहना था कि गांव के शाहबुद्दीन नामक व्यक्ति की जमीन का 1/8 भाग रामौतार पुत्र रामभरो द्वारा, जबकि शेष लगभग साढ़े छह बीघा भाग नेकसू पुत्र तालेवर द्वारा खरीदा गया था। इसी जमीन को लेकर दोनों में विवाद था।
मारपीट में नेकसू की मौत हुई। सत्र न्यायालय में हुए परीक्षण के दौरान शासकीय अधिवक्ता विनोद पचौरी द्वारा सरकार का पक्ष न्यायालय के समक्ष रखा गया। पक्ष-विपक्ष की बहस, सबूत व दलीलों के बाद जनपद न्यायाधीश रेणु अग्रवाल ने हत्या के मामले में आरोपित रामौतार व उसके पुत्र वीरपाल व दुर्वेश को दोशी करार देते हुए उन्हें दूसरी ओर मारपीट का आरोप भी पुष्ट पाये जाने पर इसके आरोपित योगेश, दिनेश, मानपाल पुत्रगण नेकसू व होरीलाल पुत्र बालिस्टर को 7-7 वर्ष का आजीवन कारावास व 5-5 हजार के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है।